Jyoti Agarawal   (ज्योति)
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Joined 16 June 2017


Joined 16 June 2017
12 JAN 2022 AT 12:13

*अनकहे अहसास*

सर्दी की नरम धूप
और साल का बदलना
मानो एक लहर सी बह जाती
है ……
धीरे धीरे आगे आ के
अचानक बहुत तेज हो जाती है

यादें , लम्हे , मोहब्बत
जाने क्या क्या पीछे छूट जाता है
तारीख़ बदल जाती है पर अहसास वही रह जाता है ।

हर साल जब ये मौसम बदलता है
मैं जाने कितने सालो पीछे चली जाती हूँ
वैसे ही जैसे वो लहरे तेज होने के बाद नरम हो जाती है।

पुराने दोस्त…पुरानी तस्वीरें
पुरानी यादें…और पुराने अहसास

सब मानो अचानक एक तेज़ हवा के झोके से बह रहे हो,

ये दिसम्बर बड़ा बेदर्द है
दिलो में एक आग जला के
खुद बदल जाता है॥

ज्योति

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6 JAN 2022 AT 7:13

बड़े मशरूफ़ रहते हो जमाने की रवायत में
की जिस दिन हार जाओगे ज़माना साथ ना होगा
ज़रा ठहरो और मुझसे कुछ गुफ़्तगू कर लो
की जिस दिन तुम पुकारोगे हम लौट ना पाएँगे…..

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20 AUG 2021 AT 8:11

जाने कितनी बार बना हूँ मिट जाने के बाद
जैसे ओस की बूँद बरसने के बाद
अब रास्तों से डर नहीं लगता
जीत लेंगे फिर से हार जाने के बाद

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27 AUG 2020 AT 4:38

दस्तक

आज फिर वही खामोशी
वही मंजर वही मदहोशि

पहली मोहब्बत की फिर वही दस्तक
बंद दरवाज़े से झांकती एक उम्र
वो अहसास वो लम्हे , वो यादों का सैलाब

अस दरवाज़े से झांकती वो धूप
मानो चौथ के चाँद की छलनी सी हो
पूरा ना सही मानो अधूरा ही हो
चाँद आधा हो तो क्या इश्क़ आधा होगा

वो दस्तक कभी बढ़ती कभी रुकती
कभी थमती कभी चीख़ती
मोहब्बत का अहसास मानो इस छनती धूप सा हो
बंद दरवाज़े से भी दस्तक दे ही जाती है

आज फिर वही अहसास
वही मंजर वही सैलाब
पहली मोहब्बत की फिर वही दस्तक
बंद दरवाज़े से झांकती एक उम्र





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3 AUG 2020 AT 6:52

बादल बारिश और बेइनतेहाँ इश्क़

कभी बादल सा कभी बारिश सा
कभी धूँधला कभी स्पर्शट सा

कभी वो झूम के बरस जाता
कभी अचानक एकदम शांत

कभी ज़हन में महक उठता
कभी हवा सा बह जाता

कभी रंग सा कभी रात सा
कभी आकर कभी निराकार

बारिश की बूँदो सी महक उसकी
कभी बादलों की जैसी खनक उसकी

वो देखता उस चाँद सा
छुपा उन बदलो में ताक रहा हो एकटक
और मैं थम जाती मैं उसकी बाँहों में
जैसे बादलों की गोद में चाँद सितारे

कभी वो गरजता और मैं बरस जाती
कभी वो थमता और मैं अविचल हो जाती

वो मेरा इश्क़ एकदम पाक
झूम के बरसता और मुझे ख़ुदा कर जाता
रंग बदलते बादल और बारिश की बूंदी में
वो मेरा इश्क़ बेइनतेहाँ
वो मेरा इश्क़ बेइनतेहाँ



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17 MAY 2020 AT 16:49

मेरे घर को जिसने बनाया उसके पास आज घर नहीं
मुंबई से चल दिए वो उनके पास आज बंदोबस्त नहीं

उन ऑटो वाले से मैं जाने क्या नहीं कहती थी
चाट वाला भैया के सुंदर चुटकुलो पे कितना हस्ती थी

मैं जब भी समुंदर किनारे जाती लगता मुंबई विशाल है
हर किसी को अपने अंदर समेट ले ये एक ऐसा अविराम है

ऊँची इमारती के ख़्वाब आज ऊँचे रह गए
उन्हें ऊँचा बनाने वाले मज़दूर नीचे सड़क पे रह गए

कभी ना रुकने वाला शहर आज ख़ामोश है
सवाल हज़ारों है पर जवाब जाने कहा गुम है

मेरे घर को जिसने बनाया उसके पास आज घर नहीं
मुंबई से चल दिए वो उनके पास आज बंदोबस्त नहीं


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14 JAN 2020 AT 19:55

उसने इनकार किया की मोहब्बत है
फिर बिखरकर मोहब्बत की हमने

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25 OCT 2019 AT 15:24

आरज़ू ये नहीं की तू मिल जाए
बस तेरे होने की कशिश कम ना हो

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23 OCT 2019 AT 16:13

जब अंधेरा घना होने लगे
मन हार जाने से डरने लगे
एक आस तुम सजा लेना
एक दीप तुम जला देना

रास्ता अगर तनहा लगे
कोई हमसफ़र ना अपना लगे
एक आस तुम सजा लेना
एक दीप तुम जला देना

हार जाना है सरल बहुत
जीत में ख़ुद को गवा देना
एक आस तुम सजा लेना
एक दीप तुम जला देना

वो कहता है मुश्किल है मंज़िले
मैं कहती हूँ सफ़र से प्यार कर
तुम सफ़र को मंज़िल बना लेना
बस एक दीप तुम जला देना






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16 OCT 2019 AT 23:16


कभी रात का खिलौना है
कभी महबूब की कल्पना
ये चाँद और ये इश्क़

कभी ये खुदा हो जाता
कभी पूरा कभी अधूरा हो जाता
ये चाँद और ये इश्क़

काले बादलों में चमकीला सा
एक जलता दिया हो जाता
ये चाँद और ये इश्क़

नाता कई जन्मो का सा
जब सुर्ख़ लाल सा पूरा हो जाता
ये चाँद और ये इश्क़

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