ज़िंदगी की उलझने
सुलझती ही नहीं
ओर जो सुलझे हैं
उनसे कभी निभती नहीं।-
Teaching professional
Devbhoomi uk
For Friendship bonding
No relationship
no love rega... read more
बेताबी के सैलाब में इतंजार उसका
तुम्हारे साथ को व्याकुल प्यार उसका-
खुशहाल तो अब भी है
क्योंकि अपने मिजाज़ के मालिक हैं
अपने दोस्त हैं बस-
सुकून तभी होगा
जब हमारे दोस्त
सोच कर्म (बिना काण्ड के)
दायरे समझ
और फैसले जमीनी होंगे
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जीवन की रफ्तार तेज है
कदम थके शिथिल से
कांटों की चुभन भी इसमें
सुकून भरी हुई मुलायम सेज है-
कागज कहां शांत रहता है शांत होकर
छप जाते हैं एहसास इसपर प्रशांत होकर
सुन लेता है कागज़ सुख दुःख हंसी ठिठोली
चीखते अल्फ़ाज़ रहते कागज की खुलते झोली-
दिन गुजरा है आज अपनी ही रफ़्तार से
रात मगर खामोश होगी दिन के इंतजार में-
आसान नहीं है इंसान का इंसान बन के रहना
सोच मगर इंसान को क्या क्या रूप दिखाती है।-
निरर्थक तारीफों में फंसते लोग
हर सच्चाई से हैं बचते लोग
जो अपने हैं बोल देते हैं सच हमसे
यही नहीं बस जंचते लोग।-
खूबसूरत भ्रम कि कोई तो साथ देगा
ता उम्र
जब अपनी ही आत्मा
अपने ही शरीर का साथ छोड़ देती है
शेष कुछ नहीं बचना है।-