जय प्रकाश यादव  
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Joined 15 April 2019


Joined 15 April 2019

दिल का मेहमान जो गया कोई ।
मेरी तो सच में जान हो गया कोई।

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आईना पूछता है
तुम्हारी तस्वीर बदली सी क्यों है।
तुम्हारी त्यौरियां चढ़ी सी क्यों है।
चेहरे की रोशनी दबी सी क्यों है।
लालिमा जो थी सुर्ख़ गालो पर।
इतना डरी क्यों है?
आईना पूछता है?
जैसे कई दिनों से ,
धुंध कुहरा हो,तेरे इलाके में ।
आईना पूछता है।
स्याह होते चेहरे की दुश्वारियां।
तुम्हें दिखती क्यों नहीं परेशानियां?
आईना पूछता है।


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दुनिया के रंगमंच पर,नाटक जारी है।
जब होती नक्षत्रों की बात,राहु भारी है।
जब तक रहता काल का नाग फांस ।
प्रयत्नों का हर पल संघर्ष जारी है।
जीव लीला है तब तक हर कमल हैं।
पल पल बदलता किरदार भारी है।
कब कौन होगा नायक -जोकर।
प्रयत्नों का हर पल संघर्ष जारी है।
दुनिया के रंगमंच पर नाटक जारी है।

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ऐ दोस्त !
तेरा मुस्कुराना,लहराना।
गुलाब की पंखुड़ियों सा।
तेरे लबों का महक जाना।
इक याद बनकर ही सही।
तेरा आँखों में बस जाना।
यूं साँसों का बहक जाना।
कि तेरा धीरे से मुस्काना।
ऐ दोस्त!
तेरा मुस्कुराना,लहराना।
कि तेरा आँखों में बस जाना।

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ऐ दोस्त!
तू हर रोज़ छवियाँ बदलने लगा।
तेरे दिल में हसरतें कोई पलने लगा।
सम्भल संभल कर चल ज़रा।
अंदर - बाहर है गहरा धुँआ।
आज रात भी गहरी है अभी।
ऐ दोस्त!
सम्भल सम्भल कर चल ज़रा।

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तुम सदा रहती हो दिल में,
प्यारी बहना ।
बाद तेरे कि कोई बात न करना,
प्यारी बहना।
शब्द शब्द अमर ही रहना,
प्यारी बहना।
तुम सदा रहती हो दिल मे ,
प्यारी बहना।

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ये सन्नाटा !
दिल को चुभता है।
बन्द दरवाजों के पीछे,
कितना कुछ दरकता है।
खामोश बच्चों की आँखों में,
अधूरे ख़्वाब चुभते है।
वक्त का बदलता रंग,
कर देता आँखें बंद।
ये सन्नाटा!
दिल को चुभता बहुत है।

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ये सन्नाटा !
दिल को चुभता है।
बन्द दरवाजों के पीछे,
कितना कुछ दरकता है।
खामोश बच्चों की आँखों में,
अधूरे ख़्वाब चुभते है।
वक्त का बदलता रंग,
कर देता आँखें बंद।
ये सन्नाटा!
दिल को चुभता बहुत है।

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बहुत अंदर तक तबाही मचाता है।
जो आँसू आँखों में ठहर जाता है।

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आज होली है.............।
दुनिया के लिए आज होली है।
हमें तो तेरी यादों में हर पल ही,
रंग उत्सव होली है।
अपने रंग में तुझे भी रंग दूँ।
अब चाह यही है।
आज होली है........।
कब तक यूं ही ,
छुपते-छुपाते रह पाओगी।
हर पल मेरे रंग में रंग जाओगी।
मेरे बग़ैर तुम भी,
कैसे होली मनाओगी ?
आज होली है.......।


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