Juweria Tasleem   (GhaZal✍️)
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Joined 22 June 2020


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Joined 22 June 2020
8 DEC 2022 AT 23:27

तलब जन्नत की है पर मालिक का ख्याल नहीं
इश्क़ मोहम्मद से है उनकी बातों का जवाज़ नहीं

सब्र अब्रابرकी मानिंद सा हुआ पड़ा है ऐ साक़ी
बता किस तरह मजमुआ करूं नेक बखितीयों का


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26 SEP 2022 AT 1:46

फक़त कोई दास्तां तो नहीं कि तेरी चाहत ने होने ना दिया किसी का,
वो जो हो गया यहां का, कहां फिक्र रही हश्र की...

ऐ सनम हम तो तेरी ईशक़ हक़िक़ी बहर के मांगते हैं,
मांगते हैं लातमाम सिवाए तेरे, इस लिए भी तड़प के मांगते हैं...!!!

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14 JUN 2022 AT 22:24

तिनका तिनका बिखेरा जा रहा हमें हमारे वतन में
फिर बेचैन हुई हमारी रूहें हमारे ही वतन में
ये वतन हमारा भी है , कब समझोगे कम अक़लौं
हमारे प्यारों का ख़ुन युं ना बहाओ किसी बेहकावे में

_Ghazal🎼

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14 MAY 2022 AT 1:03


हुआ यूं की उसकी हदों से तजावुज़ कर गए ,
गुनाह की राहों पर चलते चलते रब से ही मिल गए

मैंने कहा दो जहां तबाह कर दिया है मैंने,
उसने कहा क्या मेरी रहमतों से मायूस हो गए

निगाहें मिलाने की हिम्मत कहां से लाऊं खुदाया,
उसने कहा लौट आ मैं तेरा रेहमान हुं ये क्यों भुल गए

_Ghazal✍️



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19 FEB 2022 AT 20:48

तेरी इस बात पर अश अश कर गयी दीवानी तेरी
रोज़ ए मेहशर हंसकर मिलने का वादा किया है तूने

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25 JAN 2022 AT 20:54

कितना मुश्किल है खु़द को खु़द से दूर करना,
जलते सेहरा में कोई क़तरा तलाश करना...

बिखर कर सिमट जाते हैं ये वजुद ए फ़ानी,
अजब है क़फ़स में फंसे अरवाह की कहानी...

_Ghazal





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3 DEC 2021 AT 22:17

Tu pooch khud se kya maqbool hai tere amal ki gawahi

Tu Saheb e Imaan hai ya koi bhatka hua rahi..!!!

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22 MAY 2021 AT 16:46

Tu rakh qadam unhin bekhtar,
tera rehnuman zulljalal hai
Na mita tha na mitega Islaam,
Jabtak dill me zindah ye Emaan hai
☝️☝️☝️
_GhaZal🎼

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21 DEC 2021 AT 20:28

Mayasar na ho Sukoon e dill jahan me,
Apne amal ko palat kar dekha kar

Aage hi aag samete hain apne daman me,
Apne ashqon ko Pani banakar dekha kar

Bhale bhool jao use zamane ki gaflat me,
Phir wo tujhe khilata hai,Apne newale ko dekha kar

Muntazir hai wo her bar teri aamad ka
Ek bar hi sahi usko pookar ke dekha kar

_Ghazal ✨

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8 NOV 2021 AT 18:13

ज़िंदगी मेरी आगे और मौत मेरे साथ है,
नफ्स की रग़बत ज़िंदगी,मौत मेरी निजात है

हसरतों में मुक़िद ज़िंदगी और रब मेेरे साथ है,
ज़िंदगी की रग़बत आसाईशें,दरवेशी मेरी परवाज़ है

_GhaZal🎼

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