खुश थी मैं सुबह हिं, नाराज़ भी उसी शाम हुई
गलतियाँ कुछ आधी हिं गिनवाई,
फिर मुझे उसकी बनाई हुई गाज़र के हलवे की याद आई
उसमे मिठास उसके प्यार की थी,
खास तो तब लगा जब उसकी ये मेहनत सिर्फ मेरे लिए थी
हाँ, वो मेरे लिए सबकुछ सीखना चाहता है,
मुझे मेरे सपनो सा नहीं, हक़ीक़त सा सवारना चाहता है।
प्यार होता क्या है?? मुझे पता भी न था,
इस एहसास को पेहचाना, जो कभी सोचा भी न था।।
भगवान में विश्वास ज़रा कम है मुझे,
पर उसे मेहफूज़ रखने की मन्नत हर बार करती हूँ
जिंदगी संग गुजारने की ख्वाइश नहीं,
संग उसके उम्र जीने की चाह रखती हूँ।
वो मेरी आदत नहीं, आदि है मेरे अनंत का
जो कल तक हिस्सा भी न था, आज किस्सा है मेरे प्यार का
तोहफ़े में क्या दू उसे, ढूँढती थी हर दुकानों मे
पूरी रात लगादी मैंने एक कार्ड को सवारने में,
नींद तो आई ही नहीं और भूख भी भला कैसे लगे
ध्यान तो था मेरा
उसके जन्मदिन को यादगार दिन बनाने में,
महँगी तोहफों से ज्यादा,
वो भाउक रहता था ,मेरे बनाये भेंट के इंतज़ार में
मैंने प्यार का मतलब सिखा है, सिर्फ उसके प्यार में
उसकी खुशी की वजह ,हर बार मुझे हिं होना है
लोरी नहीं आती उसे ,पर उसकी कहानियाँ सुनकर हिं हर रात मुझे सोना है
हाँ जताती हूँ हक़ अपना,
क्योंकि हर ख्वाब मैंने खोया है
किस्मत पे भरोसा नहीं मुझे
इसने हर बार मुझे रुलाया है।।
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