तस्वीर बनाई आँखों में,
जब चाँद ज़रा सा देख लिया,
परेशान से थे
उन तारों की गिनती में ,
मैंने सारा आसमाँ अपने पास रख लिया।-
ये वो परी है जो जज्बातों के साथ
अपनी मुस्कुराहट से दुनिया बसा के रखती है,
कभी shadow🐶 को खिलाना भूलती नही
मगर ख़ुद का खाना हर रोज़ skip करती है
बहुत मासूम सा दिल है इसका,
जिंदगी के हर एक पहलू को सजा के रखती है।।
हमसे नही फोटोग्राफी से कुछ खास रिश्ता है इसका,
खूबसूरत लम्हों को कैमरों में छिपा के रखती है।
कभी मारती, कभी मार खाती
कभी हार के जीत जाती है।।
फिर भी अपने मुस्कुराहट को बनाए रखती है,
स्कूल के वो दिन सच मे ख़ास थे,
पढ़ते, खाते, डाँट भी सुनते ,
पर खुश थे क्योंकि एक दूसरे के पास थे।।
वक़्त अच्छा न हो तो ,
ज़िंदगी से काफ़ि शिकायतें भी करती है,
दूरियाँ हैं, नहीं मिल पाने की मजबूरियाँ भी समझती है ।।
सफर ये जिंदगी में खुद को उलझा के रखती है
शायद थोड़ा बचपन हर पल ये जीना चाहती है।।
महीनों बाद जब भी मिलने की बारी आती है,
अपनी बकवास बातों से भी
हर पल को बहुत ख़ास बना जाती है
शायद इसलिए,
उदास होने पर सबसे पहले तू याद आती है।।
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दिलो से नहीं, बस नक्शे पर ही दूरियाँ है।
तेरी खुशियों में हिं शामिल
मेरी भी खुशियाँ है।
तुझ संग बिता बचपन,
तुझ संग ढेरों किस्से कहानियाँ है
माना की,
अब थोड़ी मजबूरी है,
मगर दोस्ती से ही सीखा
की ज़िम्मेदरियाँ भी ज़रूरी है।
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शायद आनेवाला वक़्त बेहद ख़ास हो
कोई मुश्किलो में उलझा हुआ,
तो किसी के चेहरे पे मुस्कान हो।
जिंदगी की किताब में कुछ और पन्ने भरने को है
नये लोग और नई शुरुआत होने को है।
दूर था ये शहर और दोस्त भी मिले अनजान
Northy और southy में हुई विभाजित अपनी पहचान
Online क्लास से हुई थी शुरुआत,
किसी ने बनाये दोस्त ख़ास
तो किसी के अधूरे हिं रह गए जज़्बात
COMPILATION और कॉलेज के COMPLICATIONS
तो तब समझे जब हुई हमारी Exams से मुलाक़ात
E commerce लेने की गलती,
Vishnu sir और Judy mam से की गयी हर विनती
पता नहीं था इतनी जल्दी सब यादें बन्नें को है
Library मे कैद किताबों की तरह सब बिछड़ने को है
न जाने कब पलटे जायेंगे पन्ने,
कब फुरसत के वक़्त होंगे
कब KISMATH की coffee ,
CR ka dosa, और MILMA के बहाने किस्से सुनेंगे
हाँ पता है मुझे ये वक़्त वापस नहीं आयेंगे
पर दुआ है जब भी मिलेंगे हम
सब खुश और सभी कामयाब मिलेंगे❣️
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वो नदियों सा बेखौफ़ बहना चाहे,
मैं उसे आँगन के कुँए सा स्थिर् देखना चाहूँ
दुनिया शायद इसे कैद करना बोले
पर मेरी ख्वाइश हर बार यही है,
मैं सालों बाद भी मिलूँ उसे ❣️🫰
तो दुनिया की गंदगी से मेहफूज़ मुझे वो मिले।-
खुश थी मैं सुबह हिं, नाराज़ भी उसी शाम हुई
गलतियाँ कुछ आधी हिं गिनवाई,
फिर मुझे उसकी बनाई हुई गाज़र के हलवे की याद आई
उसमे मिठास उसके प्यार की थी,
खास तो तब लगा जब उसकी ये मेहनत सिर्फ मेरे लिए थी
हाँ, वो मेरे लिए सबकुछ सीखना चाहता है,
मुझे मेरे सपनो सा नहीं, हक़ीक़त सा सवारना चाहता है।
प्यार होता क्या है?? मुझे पता भी न था,
इस एहसास को पेहचाना, जो कभी सोचा भी न था।।
भगवान में विश्वास ज़रा कम है मुझे,
पर उसे मेहफूज़ रखने की मन्नत हर बार करती हूँ
जिंदगी संग गुजारने की ख्वाइश नहीं,
संग उसके उम्र जीने की चाह रखती हूँ।
वो मेरी आदत नहीं, आदि है मेरे अनंत का
जो कल तक हिस्सा भी न था, आज किस्सा है मेरे प्यार का
तोहफ़े में क्या दू उसे, ढूँढती थी हर दुकानों मे
पूरी रात लगादी मैंने एक कार्ड को सवारने में,
नींद तो आई ही नहीं और भूख भी भला कैसे लगे
ध्यान तो था मेरा
उसके जन्मदिन को यादगार दिन बनाने में,
महँगी तोहफों से ज्यादा,
वो भाउक रहता था ,मेरे बनाये भेंट के इंतज़ार में
मैंने प्यार का मतलब सिखा है, सिर्फ उसके प्यार में
उसकी खुशी की वजह ,हर बार मुझे हिं होना है
लोरी नहीं आती उसे ,पर उसकी कहानियाँ सुनकर हिं हर रात मुझे सोना है
हाँ जताती हूँ हक़ अपना,
क्योंकि हर ख्वाब मैंने खोया है
किस्मत पे भरोसा नहीं मुझे
इसने हर बार मुझे रुलाया है।।-
मैं ज़िक्र भी करू तो ज़िद तू ही है
मेरे हर ज़रूरत का अंत तू ही है
हाँ, अज्ञात सी है पेह्चान मेरी
शायद, इसलिए
मेरे हर कहानी का शीर्ष तू ही है
-
एक वो दिन था ,
जब ज़िंदगी में दोस्त ढूंढते थे,
आज दोस्तों में ज़िंदगी ढूंढते है।
खुद को आज़ाद कहते थे,
पर रिश्तेदारों और घरवालों को
सिर्फ झूठे पहचान दिखाते थे,
असली पहचान तो हमारी दोस्तों से ही थी,
हर बात, हर सवाल की आज़ादी तो अपने यारों से ही थी
कुछ लोग कहते है,
दोस्ती काम नहीं आयेगी, पढाई ही सब कुछ है
पर सच तो ये है,
ज़िंदगी वापस नही आयेगी, ज़िंदगी को जीना ही सब कुछ है।
तब शायद इस सच्चाई से अंजान थे हम
Math aur physics
के equations से ज़रा परेशान थे हम
उनके formulas के बिच
bollywood, bingo का स्कोर हुआ करता था
कोई looser तो कोई winner हर रोज़ हुआ करता था।
पर उस वक़्त, शायद वक़्त हीं कुछ और था
दोस्ती और अपने दोस्तों पे हमे रौब था
तब ज़िंदगी बनाने का नहीं, यादें बनाने का दौर था।।
तब ज़िंदगी की हर शिकायत हर ज़िद से दूर थे हम
आज दोस्तों की हर ख्वाईश हर खामोशी से दूर है हम
माना की वो वक़्त ही कुछ और था,
पर क्या वो दिन वो दौर सिर्फ तब था???-
कि 'Unki' चाहत,
महज़ मिट्टी की मेहक की थी
पर बारिश से बैर था 'Unhe'
मुखालिफ् है ,
मौसम भी यहाँ
बारिश तो रोज़ होती है,
मगर वो मिट्टी की खुशबू नहीं है यहाँ...
शायद, इन्हें पता है
'Unki' मौजूदगी नहीं है यहाँ...
-
अपनी परेशानियाँ वो किसी को नहीं बताते
प्यार अपना वो कभी नहीं जताते।
अपनी इच्छाओं से पहले,
हमारे सपनों को प्राथमिकता देते
अभिमान से भरी इस दुनियाँ में,
सम्मान से हमें जीना सिखाते ।-