गांधी वाद के नारे लगाते
गुण गाते है गोडसे के
बच के रहना इन सियासतदारो से
जो रोज चेहरे बदलते है
पहन के चोला गांधी वाला
ये मीठी बातें रचते है
इनके भीतर सावरकर है
ये पीछे आग उगलते है
जाति धर्म के बीज लगाकर
चलाई जहर की गोली है
इन जैसो के लिए हिंदुस्तान की जनता
क्यूँ बन बैठी भोली है
जागो भारत होश मे आओ
अब अनेकता मे ही एकता की बारी है..!
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