Juhi Tiwari   (अल्फाज़ मेरे🙂🙃)
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Joined 25 June 2019


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Joined 25 June 2019
9 AUG 2021 AT 16:27

कल यूं ही तेरी गली में मेरा जाना हो गया
जहाँ से गुज़रे हुए मुझे ज़माना हो गया
तमन्ना थी एक झलक उसका दीदार पाने की
ना मिलने में, कमबख्त बारिश के बहाना हो गया

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1 AUG 2021 AT 23:14

किस्से सभी अपने यारों के सुनाते चलना
डगर बड़ी कठिन है,साथ निभाते चलना
रिश्ते बिगड़ते बनते है, समय के सांचों में
बस रिश्ता ये अपनी दोस्ती का निभाते चलना

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8 JUL 2021 AT 19:12

ज़ख़्म आज कुरेदे मेरे, हों चुके थे जो अब पुराने हैं
महफ़िल में फ़िर से अपनी, मोहब्बत के अफसाने हैं
चर्चे कहीं वफ़ा के मेरे,कहीं तेरे इश्क़ की मिसाल है
क्यों जुदा हुए? आँखों में सबके दिखता यही सवाल है
हक़ में तेरे, उठी आवाज़ें अब तोहमत मुझे लगाती हैं
दीवानगी की हद मेरी, जिनको समझ नहीं आती हैं
कुछ रिश्तों की मंज़िल बीच,सफ़र में ही खो जाती है
वादों की वो सुंदर दुनियां बेमुक़म्मल ही हों जाती है


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24 JUN 2021 AT 18:40

चाँद उम्मीद देता है, अँधेरी रातों में
चाँद साथ देता है, हमारी बातों में

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20 JUN 2021 AT 0:14

होते होते बड़े जो हमने समझ जो कुछ भी पायी है 
निष्कर्ष तभी ये पाया हमने और बात समझ ये आयी है 
कोई ख़ुशी रहें ना बाक़ी जो हम तक ना आ पाये 
इस एक शर्त को पूरा करने, उम्र उन्होंने गंवायी है 


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9 MAY 2021 AT 9:45

बयाँ करे "माँ" लफ़्ज़ को,वो शब्द कहाँ से लायेगी
सागर की भी भला कभी,प्यास बुझायी जायेगी
त्याग तपस्या बलिदानों को जो भी हम सब नाम दें
ममता के बागों से माँ बस खुशबू तेरी आयेगी

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9 MAY 2021 AT 0:41

गीदड़ के शासन में सिंहों की हुन्कार पुरानी है
सच मानो तो कुशासन की यही रही निशानी है
गूंगा बहरा होकर के कभी न तख्ते पलटे जाते हैं
अक्सर ऊँची आवाज़ों से ही बदली गयी कहानी है

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29 APR 2021 AT 10:28

होती हों ग़र तय यारा,मोहब्बत क़ी हदें
तो पूछ कर ज़रा तुम हमें भी बताना
सीखा नहीं बेवफ़ाई का हुनर हमने कभी
सीखा है मोहब्बत को बस उम्र भर निभाना

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29 APR 2021 AT 10:19

रोटी बिक गयी पानी बिक गया बिक गया सब संसार में...
साँसें भी अब बेची जा रहीं भर भर के बाज़ार में...
ख़्वाबों में ही रह गयी अब बस नाम क़ी ये ख़ुशहाली है...
ए ख़ुदा! तेरे संसार क़ी हमने क्या हालत कर डाली है...

*जूही तिवारी*

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9 APR 2021 AT 22:14

जो सवाल उठे ही नहीं कभी उनके जवाब हो गये...
बिना खुले खातों के भी,, आज हिसाब हो गये...
जिनकी ज़ुबान तक ना खुली थी कभी मेरे सामने...
वक़्त के साथ आज वो भी हाज़िरजवाब हो गये...

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