कल यूं ही तेरी गली में मेरा जाना हो गया
जहाँ से गुज़रे हुए मुझे ज़माना हो गया
तमन्ना थी एक झलक उसका दीदार पाने की
ना मिलने में, कमबख्त बारिश के बहाना हो गया-
Need yoir support and love for going forward with अल्फाज़ मेरे ... read more
किस्से सभी अपने यारों के सुनाते चलना
डगर बड़ी कठिन है,साथ निभाते चलना
रिश्ते बिगड़ते बनते है, समय के सांचों में
बस रिश्ता ये अपनी दोस्ती का निभाते चलना
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ज़ख़्म आज कुरेदे मेरे, हों चुके थे जो अब पुराने हैं
महफ़िल में फ़िर से अपनी, मोहब्बत के अफसाने हैं
चर्चे कहीं वफ़ा के मेरे,कहीं तेरे इश्क़ की मिसाल है
क्यों जुदा हुए? आँखों में सबके दिखता यही सवाल है
हक़ में तेरे, उठी आवाज़ें अब तोहमत मुझे लगाती हैं
दीवानगी की हद मेरी, जिनको समझ नहीं आती हैं
कुछ रिश्तों की मंज़िल बीच,सफ़र में ही खो जाती है
वादों की वो सुंदर दुनियां बेमुक़म्मल ही हों जाती है
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चाँद उम्मीद देता है, अँधेरी रातों में
चाँद साथ देता है, हमारी बातों में-
होते होते बड़े जो हमने समझ जो कुछ भी पायी है
निष्कर्ष तभी ये पाया हमने और बात समझ ये आयी है
कोई ख़ुशी रहें ना बाक़ी जो हम तक ना आ पाये
इस एक शर्त को पूरा करने, उम्र उन्होंने गंवायी है
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बयाँ करे "माँ" लफ़्ज़ को,वो शब्द कहाँ से लायेगी
सागर की भी भला कभी,प्यास बुझायी जायेगी
त्याग तपस्या बलिदानों को जो भी हम सब नाम दें
ममता के बागों से माँ बस खुशबू तेरी आयेगी-
गीदड़ के शासन में सिंहों की हुन्कार पुरानी है
सच मानो तो कुशासन की यही रही निशानी है
गूंगा बहरा होकर के कभी न तख्ते पलटे जाते हैं
अक्सर ऊँची आवाज़ों से ही बदली गयी कहानी है-
होती हों ग़र तय यारा,मोहब्बत क़ी हदें
तो पूछ कर ज़रा तुम हमें भी बताना
सीखा नहीं बेवफ़ाई का हुनर हमने कभी
सीखा है मोहब्बत को बस उम्र भर निभाना-
रोटी बिक गयी पानी बिक गया बिक गया सब संसार में...
साँसें भी अब बेची जा रहीं भर भर के बाज़ार में...
ख़्वाबों में ही रह गयी अब बस नाम क़ी ये ख़ुशहाली है...
ए ख़ुदा! तेरे संसार क़ी हमने क्या हालत कर डाली है...
*जूही तिवारी*-
जो सवाल उठे ही नहीं कभी उनके जवाब हो गये...
बिना खुले खातों के भी,, आज हिसाब हो गये...
जिनकी ज़ुबान तक ना खुली थी कभी मेरे सामने...
वक़्त के साथ आज वो भी हाज़िरजवाब हो गये...
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