ओ जानम ये दिल अपना खोना पड़ेगा
कभी आंसू ख़ुशी-ग़म के पीने पड़ेंगे
कभी चुपके दामन भिगोने पड़ेंगे
कभी ख़्वाब जुड़ के भी टूटा करेंगे
तो सोचो ख़ुद को संभालोगे कैसे
मोहब्बत करोगे तो रोना पड़ेगा
ओ जानम ये दिल अपना खोना पड़ेगा
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हम एक साथ एक दूजे के पनाहों में रहेंगे ।
तुम मेरे दिल में रहना हम तेरे दिल में धड़केंगे ।।-
अब यादों का सिलसिला और तुझसे मिलने की हलचल
सुनाई देने लगी है मुझे ।
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तेरे सीने पर अपने सर को टिककर, वो हर बातों को तुमसे बताना
याद आने लगी हैं मुझे।
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तेरे रौशनी से रोशन हुई जा रही हूंँ मैं तुम "कब आओगे" तुम्हारे
आने की बातें अब याद आने लगा है मुझे ।
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भरोसा है तुम पर,भरोसा करते रहूंगी इस जलते हुए दीपक को
जलाए हीं रखूंगी ।-
स्वतंत्र कर दो जीने दो
मत बांधो मुझको बंधन में।।
लाचार, विवश, विचार कर
रखो ना मुझको पिंजरे में।।-
ख़ुशबू मोहब्बत की मुझे मेरे महबूब से मिली है
अब रखकर दुनिया वालों की तोहमत
हम अपने महबूब से मिलने चले हैं
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कुछ राज़ को अपने दिल में दफ़न कर
अब हम हौले-हौले से मुस्कुराने लगे हैं
जब से तोहफा में हमें ख़ुशबू महबूब के मिले हैं-
चलो सजाती हूंँ इन पन्नों को
तेरी यादों की स्याही से ।।
कुछ लिख छोड़ देती हूंँ मैं
उन बे मतलब की बातों को ।।
कुछ बातें हम दोनों के रिश्ते की
जो एक दूसरे को बांधे रखते थे कभी
चल छोड़ देती हूंँ आज मैं
इन पन्नों पर उल्लेख कर ।
कर देती हूंँ आज़ाद मैं हर बंधन से तुझे
चल जी ले अपनी ज़िंदगी तू छोड़ कर मुझे।।-
जो नहीं मिला, उसका अफ़सोस क्या करना ।।
जो पाया है, उसे पर घमंड क्या करना ।
हक़ और हक़ीक़त में यही तो, फर्क होता है
जब जीवन हीं अपना परिंदा है
तुम मौत से क्यों खौफ होता है ।।-
राम का नाम अति हितकारी
उठे तीर धनुष हाथ जब
पड़े कई शत्रु पर भारी
नतमस्तक है राम चरण में
काल डाल फंद को भारी
थरथर कांपत रहे सब दुष्टा
जपले जो राम नाम अति प्यारी-
थक गई है नज़रें और रूंँध गईं है आवाजें
अब हे ईश्वर तुम हीं कोई चमत्कार करवा दे
श्री राम के आगमन से राम नगरी जगमग उठाता था
उसी तरह से मेरे घर का चिराग़ मेरे घर वापस लादे
🙏श्री राम 🙏-
कभी किसी स्त्री को किसी भी हाल में कमजोर नहीं बनना चाहिए
कभी भी अपनी परिस्थितियों से हार नहीं माननी चाहिए
कितनी भी तकलीफें हो दूसरों से नहीं अपने आप से कह देने चाहिए
क्योंकि बेबस और लाचार के लिए धरती पर कोई फरिश्ता नहीं आता
बल्कि कई गिद्ध नोच खाने को तैयार बैठे होते हैं-