कोई उरूज दे ना जवाल दे, मुझे सिर्फ इतना कमाल दे,
मुझे अपनी राह में डाल दे, कि जमाना मेरी मिसाल दे।
तेरी रहमतों का नुज़ूल हो, मुझे महनातों का सिला मिले,
मुझे मालो-ओ-ज़र की हवस नहीं, मुझे बस तू रिज़क-ए-हलाल दे।
मेरे ज़हन में तेरी फ़िक्र हो, मेरी सांसों में तेरा ज़िक्र हो,
तेरा खौफ मेरी निजात हो, सभी खौफ दिल से निकाल दे।
तेरी बारगाह में ऐ खुदा मेरी रोज़-ओ-शब है यही दुआ
तू रहीम है तू करीम है, मुझे मुश्किलों से निकाल दे।
आमीन
अल्लामा इक़बाल
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