ये काली रात तो वक्त की पाबंद है गुजर ही जाएंगी,
देखना ये है, के सितारों की रोशनी कब तक साथ देती है।-
मैं अपनी यादों की परछाइयों में इस हक़ीक़त को ढूंढ़ने की कोशिश में उलझा हुआ हूं के तुम्हें कैसे खो दिया ....।
के भला तुम से जरूरी क्या था..? कुछ नहीं।
के तुम्हारे सिवा क्या था..? कुछ नहीं।
के तुम्हारे बाद क्या हूं..? कुछ नहीं,
के शायद तुम्हारे लिए क्या था..? कुछ नहीं।
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उसकी आँखों में प्यार तो बोहोत था मगर उसने हमें बताया नहीं,
उसकी बातों में अपनापन तो बोहोत था मगर उसने हमें अपनाया नहीं।.......
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पता नहीं क्यूं मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ ,
तुम्हें बोहोत चाहने और याद करने लगा हूँ।
हमारी दुनिया एक दूसरे से बोहोत जुदा है,
तुम्हारे रुबरु होना ये ख़्वाब भी बोहोत बड़ा है।
हम कभी नहीं मिलेंगे, और कोशिश भी भला क्यों करेंगे,
मैं तुम्हें कुछ बता भी नहीं पाऊंगा और तुम भी कहां मेरी बात सुनोंगे ।
हमें अजनबी ही रहना होंगा ये दर्द भी सिर्फ मुझे ही सहना होगा,
तुम्हें कहां कुछ पता होंगा, के कौन, कहां, क्यों, तड़पा होंगा।
पता नहीं क्यूं मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ ,
तुम्हें बोहोत चाहने और याद करने लगा हूँ।
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कोई आज निशाने पर है, ये कोई अच्छी बात तो नहीं।
हर एक पे आंच आएंगी, ये आग लगाने वाले किसी के नहीं।
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तुमसे बेहतर - बेहतर करते करते,
उसे अंदाजा हुआ के बेहतरीन को खोया है।-
सारा जहां रोशन है उसी नूर के दम से,
हर एक शय कहती है हम है तो ख़ुदा भी है।-
रोना आया नहीं तुम्हें अपने किरदार की मौत पर भी,
अब जो गुजर गया है उसपर मलाल क्यों हो भला।-