Juber Alam   (jubbuu)
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Joined 4 December 2019


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Joined 4 December 2019
29 JUN 2022 AT 15:16

कभी-कभी ऊंचाई से गिरना भी जरूरी होता है आसमान में उड़ने का सलीका सीखने के लिए

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17 JUN 2022 AT 2:42

ये कैसा सानेहा पेश आया मेरी ज़िन्दगी में
चाह कर भी मोहब्बत न हुई फिर किसी से

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17 JUN 2022 AT 2:38

अपनी कहानी तो मैं ज़रूर लिखूंगा
वो चाहे प्रेम की हो या कामयाबी की
बस अपना किरदार दुरूस्त रखना
न जाने कहां तुम्हारा नाम आ जाए

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12 JUN 2022 AT 4:53

ढूंढता फिरता हूं वफ़ा ज़माने में मगर मिलती नहीं है
घर में एक पुरानी घड़ी है उसकी सुई हिलती नहीं है
इतना अंधेरा है मुझे नज़र नहीं आता मैं किधर जाऊ
एक ही माचिस थी कमबख्त वो भी जलती नहीं है

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21 MAY 2022 AT 15:44

हम रुसवा हुए मोहब्बत में तो क्या ये इश्क़ भी ज़रूरी था
माना अब बिछड़ गए हम पर हमारा मिलना भी ज़रूरी था
इन होंठों को सी कर सियाह रातों में तनहा दर्द सहे है हमने
करते महफ़िलों में बदनाम पर इश्क़ का एहतराम ज़रूरी था

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19 MAY 2022 AT 13:10

तुम सरे बाज़ार नज़रों से क़त्ल करती हो
हम आसपास ज़माने का पहरा देखते है
तुम आसमान में सिर्फ चाँद को देखती हो
हम तो चाँद में भी तुम्हारा चेहरा देखते है

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11 MAY 2022 AT 11:12

ये दिल आज भी तेरा तलबगार है
न जाने कब दिन कब रात होती है
तेरी यादों में तो बस बरसात होती है
तू गई थी जिस राह पर मुझे छोड़ कर
उस राह में सपने आज भी इंतशार है
सोचता हूँ भूल जाउं याद आती है तेरी
मेरे दिल पर रहा न मेरा इख़्तियार है
करवट - करवट तेरा इंतज़ार है

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11 MAY 2022 AT 10:39

चुप रहने में अब मज़ा आ रहा है
दर्द सहने में अब मज़ा आ रहा है
इतना रोए हम तन्हाई में आलम
के रोने में भी अब मज़ा आ रहा है

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5 MAY 2022 AT 23:18

क्या मैं भी तेरे जैसा हो जाऊं
तुझे अपना दीवाना करके
दुनिया की भीड़ में कहीं खो जाऊं
क्या मैं भी तेरे जैसा हो जाऊं
तुने प्यार किया फिर इकरार किया
मुझे मिलने के लिए बेकरार किया
तेरे इन आँखों में सपने सजा के
मैं भी किसी और का हो जाऊं
क्या मैं भी तेरे जैसा हो जाऊं

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30 APR 2022 AT 22:53

अगर मैं लिखूंगा तो तुम पढोगे क्या ?
हाल मेरा जान कर तुम करोगे क्या...

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