JS Satyam   (JS Satyam)
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Joined 5 November 2018


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Joined 5 November 2018
1 JUL 2021 AT 23:23

तुझसे इश्क़ ख़ूबसूरत सा था,
मुकम्मल नहीं, अधूरा ही सही।
एक तरफ़ा रही दास्तानें मोहब्बत,
यह हिज्र का सिलसिला कभी थमा ही नहीं।

संजोते रहे ख्वाब मोहब्बत में तेरे,
वास्तविकता की धरती दिखी ही नहीं,
और देखा करता था तेरा अक्स उस चाँद में अक्सर
जो चाँद मेरे आंगन में कभी निकला ही नहीं

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9 JAN 2021 AT 0:49

गिरा हूँ पर अभी हारा नहीं,
टूटा हूँ पर अभी बिखरा नहीं,
फिर उठूँगा जंग लड़ने खुदा से,
अभी घर लौटने का इरादा नहीं।
- जे.यस. सत्यम

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10 OCT 2020 AT 21:30

शब्द बड़ा अनमोल है, सोंच समझ के बोल,
जहाँ शब्द का मोल नही, वहाँ रह जाओ मौन।

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29 SEP 2020 AT 20:43

मैं जिस दिन खुद से संतुष्ट हो जाऊंगा,
खुद को निखारने का हुनर भूल जाऊंगा।

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15 SEP 2020 AT 7:52

हमें जीवन में साकरात्मक होना चाहिए,
परंतु इस साकारत्मकता से इतना भी अशक्त नही होंना चाहिए,
की जीवन की सच्चाई दिखना भी बन्द हो जाए।

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11 SEP 2020 AT 7:52








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14 AUG 2020 AT 21:26

एक शाम गुज़ारनी है तेरे सानिध्य में
उम्र भर इन रास्तों में तेरे साथ चलना है
भीगना है मुझे तेरे साथ सावन की पहली बारिश में
तेरे जिस्म को नही तेरे रूह को छुके गुज़रना है

तेरी छोटी छोटी ख्वाइशों को पुरा करना है,
और तेरे होठों की मुस्कान की वजह बनना है,
तेरी खुले केश कत्लेआम करते हैं,
मुझे इस कातिल के हाथों हजारों मौत मरना है।

सवारना है उम्र भर लटकती लट ये तेरी,
तेरे आँखों के समंदर में डूब मरना है,
और चूम है तेरा माथे को इस कदर मुझको
की चाँद चूमने को मुराद पूरी करना है।

थामना है तेरे हाथों को अपने हाथों,
और राहों से बेतकल्लुफ-बेवक़्क्त गुज़र्ना है,
एक शाम गज़ारनी है तेरे साथ में,
उम्र भर तेरे साथ चलना है।

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14 AUG 2020 AT 12:45

रिश्तों को समेटते समेटते थक गया हूँ, गालिब
जो रूह को सुकून दे ऐसी शाम चाहिए।

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10 AUG 2020 AT 14:08






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9 AUG 2020 AT 11:06

Chalo Aaj Tumhe Aazad Karte Hai,
Tumhari Har Galti Aaj Maaf Karte Hai,
Par Ye Na Samajhna ki Main
Tumhare Aansun Dekh Ke Pighal Gya
Ya Phir Tujhe main wapas paana chahta hoon

Balki Isliye Ki Mujhe Tujhse Jude
Har Hisse ko Bhulana Hai
Khud se hi Ishq Karna Hai,
Aur Khudi ko Manana Hai

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