बहुत दिनों के बाद आज कलम उठी है,
सूना है आप्तजनों में साजिश की लहरें उठी हैं ।-
न जाने कितने मिलते है दिवाने
टकराते है इस दिल से कई परवाने ,
यूं तो कभी शोर नहीं मचाता
पर दिल का दर्द दिल ही जाने ।-
जब कुछ अच्छा न लगे
तब खुद से एक बार मिल लो
जिंदगी की दहलीज़ पर
सब भूला के जी भर जी लो ।-
अंतिम सांसों पे सिसकियां जब सूनी
दो दिलों ने एक दूसरों की ,
कटी सांसे रुकी धड़कने,
अधूरे रह गए दोनों दिल मिलने को ।-
भारत में तृतीया का चंद्र दिखना खास है, किन्तु
चंद्र पर भारत को तीसरी बार देखना एक इतिहास है ।
भारत को चंद्र का मुकूट पहनाने के लिए ISRO के तमाम वैज्ञानिकों को हार्दिक शुभकामनाएं ।-
पुराने तो महेंगे कपड़े भी लोग फेंक देते हैं,
तो फीर ज़िदगी में लगे पुराने दाग को क्यों संभालना ।-
बुंद बुंद लहू की मांग की थी
जब तडपते उस तिरंगे ने ...
धर्म जात से बढकर आगे
दी कुरबानी कई परिंदों ने ।
कई शहीदों ने अपनी जिंदगी में ज़हर पीकर हमें आज़ादी का अमृत पिलाया हैं . .
आईये उन सभी शहिदों को हम याद कर आज आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाएँ ।
जय हिन्द ...-
खुशनसीब है वो जिसे तुम अपने होठों पे लगाती हो और बदनसीब है वो जो तुम्हें अपने होठों से लगाता नहीं ।— % &
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लोगों की ज़ुबां पर नग़मे यूं ही याद नहीं रहते,
जब तक स्वर की साधना में साधक जला नहीं करते ।
स्वरसाधना की निरंतर साधिका स्व. लताजी की पुण्यतिथि पर कोटानुकोटि वंदन।-
सप्तरंग मन अति उमंग संग उडी पिचकारी
उड़त गुलाल अबिल लाल राधा मोह मन हारी
यम्ना तट बैठे प्रेमरंग भिगे मुरली बजाए मुरारी
देखत मनोहारी गोपी करत सुफल जनम भारी।-