है कई ख्वाब कैद मेरी रूह में,और एक मैं हूं,जिस्म से जगा नहीं।इल्जाम है मुझ पर आंसू बेचने का,माना हूं मैं कमजोर हिसाबों में,पर,यकीन कर मेरा, मैं देता कोई दगा नहीं। उम्मीदों पर दिमाग का जोर पड़ते ही,तारीफें करता है ये गैरों की,ये दिल किसी का सगा नहीं।है मेरे पांव में बेड़ियां जिम्मेदारियों की,यही वजह है,मैं बारिशों में भगा नहीं।। -
है कई ख्वाब कैद मेरी रूह में,और एक मैं हूं,जिस्म से जगा नहीं।इल्जाम है मुझ पर आंसू बेचने का,माना हूं मैं कमजोर हिसाबों में,पर,यकीन कर मेरा, मैं देता कोई दगा नहीं। उम्मीदों पर दिमाग का जोर पड़ते ही,तारीफें करता है ये गैरों की,ये दिल किसी का सगा नहीं।है मेरे पांव में बेड़ियां जिम्मेदारियों की,यही वजह है,मैं बारिशों में भगा नहीं।।
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सांसों को हवा मिली है,मेहरबानी आपकी।शरीर को दवा मिली है,मेहरबानी आपकी।रूह को सुकून मिला है,मेहरबानी आपकी।देश को जुनून मिला है,मेहरबानी आपकी।शुक्रिया सफेद लिबास पहनने वाले,बिना चारासाज़ी के किधर जाता मैं।शुक्रिया जान बचाने का इतिहास बनाने वाले,सिर्फ दुआ के भरोसे रहता,तो मर जाता मैं।। -
सांसों को हवा मिली है,मेहरबानी आपकी।शरीर को दवा मिली है,मेहरबानी आपकी।रूह को सुकून मिला है,मेहरबानी आपकी।देश को जुनून मिला है,मेहरबानी आपकी।शुक्रिया सफेद लिबास पहनने वाले,बिना चारासाज़ी के किधर जाता मैं।शुक्रिया जान बचाने का इतिहास बनाने वाले,सिर्फ दुआ के भरोसे रहता,तो मर जाता मैं।।
Tu chand ko der tak dekhta tha,Hum tujhko nihara karte the,..Tu tuttte taaron se dua mangta tha,Hum tera sajda karte the.. -
Tu chand ko der tak dekhta tha,Hum tujhko nihara karte the,..Tu tuttte taaron se dua mangta tha,Hum tera sajda karte the..
भाई मरे बल घटे, बाप मरे छत जाए, जो मरे माउड़ी, सारा जग सूना पड़ जाए।(राजस्थानी कहावत) -
भाई मरे बल घटे, बाप मरे छत जाए, जो मरे माउड़ी, सारा जग सूना पड़ जाए।(राजस्थानी कहावत)
चले आओ साजना,सपनों की रेल पर सवार हो कर।चले आओ मनमोहन,मिलो किसी साहिल किनारे,मीठी मुस्कान से तैयार हो कर।चले आओ रफ़ीक़,गुफ़्तगू और दीदार के लिए,थोड़ा सा वक़्त उधार ले कर।चले आओ प्रियतम,नफरतों की दीवार तोड़ कर,तहज़ीब-ए-हया का श्रंगार ले कर।चले आओ महबूब,कांटों सा दानव चुभ रहा है,मेरी नज़र से तेज तलवार हो कर।चले आओ प्रियवर,भटकी हुई मेरी नाव पर सवार हो कर,मन्ज़िल पहुंचा दो मुझे पतवार हो कर। -
चले आओ साजना,सपनों की रेल पर सवार हो कर।चले आओ मनमोहन,मिलो किसी साहिल किनारे,मीठी मुस्कान से तैयार हो कर।चले आओ रफ़ीक़,गुफ़्तगू और दीदार के लिए,थोड़ा सा वक़्त उधार ले कर।चले आओ प्रियतम,नफरतों की दीवार तोड़ कर,तहज़ीब-ए-हया का श्रंगार ले कर।चले आओ महबूब,कांटों सा दानव चुभ रहा है,मेरी नज़र से तेज तलवार हो कर।चले आओ प्रियवर,भटकी हुई मेरी नाव पर सवार हो कर,मन्ज़िल पहुंचा दो मुझे पतवार हो कर।
तेरी ज़िंदगी से ज्यादा है।वक़्त से वक़्त लेकर उधार,तारों के झालर से रोशन करेंगे इसे,मेरा ये वादा है। -
तेरी ज़िंदगी से ज्यादा है।वक़्त से वक़्त लेकर उधार,तारों के झालर से रोशन करेंगे इसे,मेरा ये वादा है।
गैरों की खुशबू आती है।सुना है इश्क़ के पते पर,चार-पांच खत लिख जाती है। -
गैरों की खुशबू आती है।सुना है इश्क़ के पते पर,चार-पांच खत लिख जाती है।
इश्क़ की बस्ती उजाड़ दी तुमने।मांझी जैसी हालत कर के,और फिर जिन्दगी पहाड़ की हमने। -
इश्क़ की बस्ती उजाड़ दी तुमने।मांझी जैसी हालत कर के,और फिर जिन्दगी पहाड़ की हमने।
ऐसी पहेली,जो उलझती भी है,मगर उलझते-उलझते सुलझती भी है। -
ऐसी पहेली,जो उलझती भी है,मगर उलझते-उलझते सुलझती भी है।
और समंदर बदनाम हो गया। -
और समंदर बदनाम हो गया।