ये जो 31st गया है न
वो पूरा का पूरा एक साल ले गया-
मैं सोचूं जिसे उसे असर भी ना हो
जाओ जी फिर ... read more
बस इक तलाश ने मुझसे मेरी आधी उम्र छीन ली
और अब वही पूछता है तुम पागल तो नहीं-
इतना तरसाया है उसने..... मुझे ताउम्र की
अब वो मिलता भी है तो मुझे रास नहीं आता-
मोहब्बत उसको पाने में नही है
मोहब्बत तो सिर्फ उसका हो जाने में है-
क्यूं ख्यालों की चार दिवारी में मैं गुम रही हूं
है मुमकिन अगर तू तो रूबरू हो
क्यूं तेरी जिद्दोंजहद में मैं टूटे तारे चुन रही हूं-
ए दिल तू उन्हें देखकर कुछ ऐसे तड़पना
आ जाए हंसी उनको जो बैठे हैं खफा से
सुनते हैं मिल जाती है हर चीज दुआ से
इक रोज उन्हें मांग कर देखेंगे खुदा से
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तेरी ही इबादत की है तेरी ही चाहत की है
मिली मैं जब भी खुदा से तेरी ही हसरत की है
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क्यूं और कितना का हिसाब तुम रख लो
मुझे तो सिर्फ तुम अच्छे लगते हो
और बस तुम्ही अच्छे लगते हो-
सुनो हजारों लोगों से हजारों गलियों से
हो कर गुजरी हूं बताओ
क्यूं मेरे कदम तुम्हारी गली में
और मेरी नज़र तुम्ही पर आकर थम गए-
बहुत मुश्किल है
तेरी यादों की गिरफ्त से निकलना
ये मुझे मुझ से अलग कर देती हैं-