اعجم انور   (Aazam)
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Joined 10 December 2017


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8 MAR 2021 AT 12:28

हर गली-कूचे से फलक़ तक परवाज़ बाकी है
ये बन्द कमरे मेरी दयार नहीं तय कर सकती

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20 NOV 2020 AT 12:16

अपनी ऊंचाई पर क्यों न गर्व हो इमारत को
मद्दे मुक़ाबिल जो बनना है इसे इस ज़मीं की

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13 NOV 2020 AT 19:53

कितनी महत्वपूर्ण हो जाती है कश्ती
जब छूट जाता है साथ साहिल का वस्त बहर में

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7 OCT 2020 AT 19:56

कभी तुफानों ने, कभी लहरों के भंवर में
तो कभी शांत समंदर ने
इस बे-नाखुदा कश्ती को साहिल से मिलाने में
हर एक के किरदार मिले हैं

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10 SEP 2020 AT 21:37

इस दौर में हम भी गुज़रे और तुम भी
बस रह गया हमारा मिलना आपस में

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27 AUG 2020 AT 20:07

एक ही तस्वीर थी उसकी जो कहीं खो गई ज़माने में
पर वो कातिब, आज भी देखा करता है उसे पन्नों में

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25 AUG 2020 AT 20:09

राही हूं, वाकिफ हूं इसके हर पहलू से
राहों को नहीं कोई निसबत मंजिल से

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23 AUG 2020 AT 19:18

लाज़मी है तुम्हारी यादों में डूब जाना
इसी के साथ हर शाम गुज़र जाती है

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19 AUG 2020 AT 22:53

Celebrate the journey and each uncertainty becomes embodiment of Joy.

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11 AUG 2020 AT 14:22

एक सफ़र है,
जो मंजिलों के करीब है।

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