कुछ रातों की नींद मरी है,
कुछ-कुछ दिन का चैन उड़ा है ।
ऐसा ही कुछ तब हुआ था,
जब कहता था मैं दिल जुड़ा है ।
कुछ उम्मीदें टूट गयी हैं,
कुछ विश्वासों के पूल ढहे हैं,
उसकी आँखों में देखा है मैंने,
आँखों से उसके झूठ बहे हैं ।
कुछ इंसानियत के संग में यारों,
कुछ अरमाँ कुछ दिल टूटे हैं,
कुछ कलमें अब नहीं चलेगी,
कुछ अँसुवन से खत फटे हैं ।
अरे दिल का हाल बयाँ क्या करें,
कुछ ख़्वाब और चराग लुटे हैं ।
जो जन्नत दिखलाई गयी है,
मोमबत्तियां जलाई गई है ।
इक चिंगारी दिलों में सबके,
अब जैसे बुवाई गयी है ।
एक जन्नत का कोना जी,
उन गद्दारों को भी मिले ।
प्यार का खून बहाया जिन्होंने,
धोखा उनको दिल से मिले ।
धोखेबाजों की करनी का चिट्ठा,
सरेबाजार एक दिन खुले ।
आ रहा है ज़रा तरस,
यहाँ हाल हैं कुछ बेबस,
सुना है यह संसार है नश्वर,
कुछ करिश्मा दिखलाओ ईश्वर ।
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