तुम हाथ छोड़ ही देना , अगर मैं चुभ गया हूं।
तुम चले ही जाना , अगर मैं तुमको दुख गया हूं ।।
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नजरों का क्या है , उसे हर चमकती चीज़ में हीरा नज़र आता है ।।
आज कल राह चलते लोग खुद को जोहरी समझ बैठे है ।।-
करता तो उससे मैं प्यार था
लेकिन दुर्लभ मेरा , शायद किरदार था
रास न आई नीतियां मेरी
आज नही पसंद बात चीत मेरी
मेरी आवाजों पे मरती थी
मेरी हैलो, सुनने को तरसती थी
अब वो बोली प्यार नहीं हैं
तुमको लगा था भ्रम का झोंका
मुझको ऐसा छला प्रिए ने
दिन चौखट पर कभी न आया
सूर्य डूब गए , डूबे चंद्रमा
हम डूब गए अंधियारे में
इतना वियोग लिए मन में
पर पैर ना पड़े मधुशाला में
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मेरा दिन तो तुम्हारे नाम ही था
हम कामों को बहानों से टाल गए
काश तुम अगर साथ होते
हम आज की अश्रुओं को टाल गए होते-
मुलाकातों को तरसा था अतः अनुरोध भेजा था
ना तुमने कल बताना था , ना तुमने आज बताना है ।
मेरा ना कल कुछ बिगड़ा था , ना मेरा कुछ आज बिगड़ेगा
अधूरी रात सी हो तुम , तुम्हे तो रोज आना है ।।-
मुलाकात की तू एक तारीख तो निकाल, मेरी हैसियत उस तारीख से कम मगर एक प्याला चाय तो मंगा ही लूंगा
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मौसम सुहाना है , लेकिन बरकरार अब भी तुम्हारा बहाना है
तरस रहे जिसे अरसे से , बाकी अब भी तुम्हारा नज़राना है-
वृक्ष के पत्ते भी तब तक नहीं झड़ते
जब तक उन्हे मौसम परिवर्तन की मार न पड़े
लेकिन मनुष्य परिवार में छोटी छोटी बातों
से परिवार की शाखा से अलग हो जाता है।।-
As much as you love someone from inside, do it selflessly because expecting love from them is futile, because they don't even know that you love them.
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If the representative is strong than result will be victory even if others fail.
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