जो कभी एकांत में बैठकर, किसी की स्मृति में किसी के वियोग में सिसक़-सिसक़ और बिलख़-बिलख़ नहीं रोया वह जीवन के ऐसे सुख से वंचित है। जिस पर सैकड़ों #हँसी न्योछावर हैं। ❣️😊
प्रेम में छले गये लड़के/लड़की बन जाते है उपहास का केंद्र उनके प्रेम की असफलता को दी जाती है "कटने की संज्ञा" उसके हाल को जानने की कोशिश करती है केवल उदासी।
किसी स्त्री के गाल पर आए बालों को अपनी उंगलियों से उसके कान के पीछे कर उसके माथे को चूमना और आलिंगन करना, संभोग से कही अधिक संवेदनशील और स्नेहयुक्त होता है।
खुद में एक विस्फोटक भाव है,जो हमे भीतर से तोड़ देता है, कहीं भी खुद को अकेले पाकर रोना ,उसे न कहकर, ईश्वर से उसे मांगना, अपनी मोह्हबत को अपने भीतर ही रख कर उसे चाहना, बिना किसी उम्मीद के चाहते रहना,खुद को उसके प्यार में जलाए रखना, फिर एक दिन उसके छोड़े जाने पर टूट कर बिखर जाना।