JITENDRA Kumar   (Jitu)
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Joined 26 July 2022


Joined 26 July 2022
26 JUL 2022 AT 23:12

देखा था मैंने उसका चेहरा ख्वाब में, जैसा खिला हो कली गुलाब में,
मन्नत है रब से देखू उसे फिर से, क्युकी वो दिखी भी तो नकाब में।।

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26 JUL 2022 AT 11:19

इसे जिम्मेदारियां या समय का खेल बोलो, हालातों से होना पड़ता है मजबूर।
फिर या तो दिल से या घर से या शहर से, होना पड़ता है दूर ।।

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26 JUL 2022 AT 0:55

मेरे लफ्जों पर तेरी कोई जिक्र न हो, ऐसे कोई बात कहा!
तुम्हे याद किए बिना ही मै सो जाऊं, ऐसी कोई रात कहा !!

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