Jitendra KS  
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Joined 23 June 2020


Joined 23 June 2020
6 DEC 2021 AT 23:03

यूं देखना उस को कि कोई और न देखे
इनाम तो अच्छा था मगर शर्त कड़ी थी
-परवीन शाकिर

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3 NOV 2021 AT 23:13

सोचता हूँ रात भर तुझे, साथ तेरे थोड़ा दिन गुजार कर
और फिर तुझे सोचते सोचते सो जाता हूँ थक हार कर
हाये ये जेवर, तेवर, नखरे, आंखे, काजल, बिंदी, बाली
तू देख लेना एक दिन ये सब दम लेंगे मुझे मार कर

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3 NOV 2021 AT 1:48

करीब होकर भी उनसे दूरियाँ रही बहुत..
हमारी मोहब्बत में मजबूरियाँ रही बहुत.!

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2 NOV 2021 AT 0:25

कुछ तो हवा भी सर्द थी, कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ, होता रहा मलाल भी
-परवीन शाकिर

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17 OCT 2021 AT 0:10

यहाँ किसी को भी कुछ हस्ब-ए-आरज़ू न मिला
किसी को हम न मिले और हम को तू न मिला

ज़फ़र इक़बाल

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12 OCT 2021 AT 21:44

चलो ये इश्क़ नहीं चाहने की आदत है
कि क्या करें हमें दू्सरे की आदत है

मैं क्या कहूँ के मुझे सब्र क्यूँ नहीं आता
मैं क्या करूँ के तुझे देखने की आदत है

फ़राज़

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1 OCT 2021 AT 8:55

प्रेम में वो दो नहीं, चार लोग होते हैं

एक अल्हड़ लड़की और एक गंभीर पुरुष
एक शरारती लड़का और एक शांत स्त्री
कभी दोनों नादान कभी दोनों परिपक्व

प्रेम में वो कभी बस दो नहीं होते
वो एक होते हैं पर कई होते हैं

💞

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29 MAY 2021 AT 6:35

बूंदें बरसीं, भीगा तन मन, अंग अंग मुस्काया है..
तेरी धुंधली यादों जैसा फिर से मौसम आया है..

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10 MAY 2021 AT 23:14

ये कैसे दिन गुजार रहा हूँ मैं..
हसीन यादों को सहार रहा हूँ मैं..

रूबरू मिलने के तो हालात नही अब..
बस तेरी तस्वीर निहार रहा हूँ मैं..

पलट के आना तो तेरा मुमकिन नही..
बस यूं ही रस्ते को पुकार रहा हूँ मैं..

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20 APR 2021 AT 5:09

आज़ाद उड़ता परिंदा सा था मगर
इश्क़ की आग़ोशी में रहा था मैं 😍
इक बार ख़्वाब में चूमा था उसको
मुद्दतों मदहोशी में रहा था मैं 💕

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