कुछ बेशर्म लोग
किंतु, परंतु और इधर उधर के कुतर्क देकर अब भी इस आतंकी घटना को डिफेंड कर रहे हैं. और आतंकियों की करतूत, उनकी सोच और मान्यताओं का बचाव करते हुए, पीड़ितों को कोस रहे हैं.
क्या उन्हें इंतज़ार है कि किसी दिन आतंकी उनकी खोपड़ी में सुराख़ कर दें, तब ही उसे दोषी मानेंगे?
उनके भीतर मनुष्य मर गया है, विवेक मर गया है.
संवेदनाओं के ऊपर सियासत हावी है 🤔
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हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर,
बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,
विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।
फिर कभी नहीं जैसा होगा। ~ दिनकर
#PahalghamTerrorAttack-
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
~ निदा फ़ाज़ली-
तुम बिखरे हुए, हम भी बिखरे हुए
मिलें तो हो ये सब पल संवरे हुए
~जितेंद्र जवाहर दवे-
हमेशा के लिए काबिज़
ख़ुशबू की तरह
बनने मिटने की
जद्दोजहद से परे
~ जितेंद्र जवाहर दवे
𝘫𝘪𝘵𝘫𝘢𝘰.𝘣𝘭𝘰𝘨𝘴𝘱𝘰𝘵.𝘤𝘰𝘮-
होरी खेलूंगी कहकर बिस्मिल्लाह
नाम नबी की रतन चढ़ी बूंद पड़ी अल्लाह अल्लाह
रंग-रंगीली ओही खिलावे जो सखी होवे फ़ना-फ़िल्लाह
होरी खेलूंगी कहकर बिस्मिल्लाह
~ बुल्ले शाह (सूफ़ी संत)-
फरेब की होलिकाएँ
जलती रहेंगी
हिरण्य कश्यपो का अहंकार
राख़ करते हुए
आग से तपकर
हर बार
सत्य के प्रह्लाद निखर आएँगे
~ जितेंद्र जवाहर दवे-
𝙹𝚞𝚜𝚝 𝚊𝚗𝚘𝚝𝚑𝚎𝚛 𝚍𝚊𝚢
𝚃𝚘 𝚜𝚙𝚛𝚎𝚊𝚍 𝚕𝚘𝚟𝚎
𝚃𝚘 𝚒𝚖𝚙𝚛𝚘𝚟𝚎, 𝚒𝚖𝚙𝚛𝚘𝚟𝚎 𝚊𝚗𝚍 𝚒𝚖𝚙𝚛𝚘𝚟𝚎
𝚃𝚘 𝚕𝚒𝚟𝚎 𝚠𝚒𝚝𝚑 𝚟𝚊𝚕𝚞𝚎 & 𝚟𝚒𝚛𝚝𝚞𝚎
𝚃𝚘 𝚕𝚎𝚊𝚛𝚗 𝚗𝚎𝚠 𝚕𝚎𝚜𝚜𝚘𝚗𝚜
𝚃𝚘 𝚠𝚒𝚗 𝚑𝚎𝚊𝚛𝚝𝚜
𝚃𝚘 𝚜𝚊𝚟𝚎 𝚌𝚘𝚗𝚜𝚌𝚒𝚎𝚗𝚌𝚎
𝙹𝚞𝚜𝚝 𝚊𝚗𝚘𝚝𝚑𝚎𝚛 𝚍𝚊𝚢 𝚋𝚢 𝚐𝚛𝚊𝚌𝚎 𝚘𝚏 𝙰𝚕𝚖𝚒𝚐𝚑𝚝𝚢-