कम्प्यूटर के जैसी होती नहीं यह मानव की जिन्दगी,
जिसको फीलिंग,इमोशन,इम्प्रेसन,अट्रैक्शन नहीं होता।
परिवार की जिम्मेदारी, कैरियर का डर, मेंटल प्रेशर,
बहुत सारी प्रॉब्लमस जिसका कोई करेक्शन नहीं होता ।।
बार-बार असफल होने के बाद एक दिन सब ठीक होगा,
लडको की प्रॉब्लम्स और उम्मीदों का कोई इलेक्शन नहीं होता।
दिल, दिमाग,जिगर,शरीर का मुख्य भाग प्रोसेसर होता,
बिना रुके थके करता काम इसका कोई सलेक्शन नहीं होता।।
इसका जन्म से मुख्य मेमोरी जैसे अपना काम चालू रखता,
और तब तक करता है जब तक बीच में जंक्शन नहीं होता।
सेरीब्रम का मुख्य भाग ALU, CU, MU कम्बाइन्ड होता,
कम्पेरिजन,कैलकुलेशन,डिसीजन वाला फंक्शन नहीं होता।।
काश मानव जीवन भी कम्प्यूटर जैसा होता।-
दुलारा नाम जानू प्रिय नाम जितेंद्र चौहान है।
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क्या कहु कुछ कहा नही जाता,दिल का दर्द अब सहा नही जाता।
सोचता हु तुझको भुला दे,मगर तुम्हारे बिन अब रहा नही जाता।।-
मेरे से कुछ सीखो, दर्द किसे कहा जाता है।
सबको खुशिया देकर हमें दर्द बाटा जाता है।
आजकल रुलाना बेहतर शौक बन गया यारो
मरहम का बहाना करके दर्द नापा जाता है।
न टूटा है,न बिखरा है,न किसी का सहारा है।
अकेले होना गुनाह है,इसलिए छापा जाता है
ऐसे दिल्लगी से मत करना मोहब्बत ऐ हुजूर।
यहां दर्द देकर जितेन्द्र रिपोर्ट जांचा जाता है।
नाम लेते ही हलक से जब लहू निकल आए।
उम्मीद की पतंग उड़ाकर डोर काटा जाता है।-
मधुर-मधुर गजल सुनाकर उलझा देती हो बात में।
जिस दिन नहीं देखता राधे रतौधी हो जाती रात में।
तुम ही मेरी मरकरी हो,टिमटिमाती रहो ख्यालात में
तुमको देखा जबसे, चांदनी दिखे ना अंधेरी रात में।
मेरी एल.ए.डी.बल्ब हो, मुश्किल से मिली सौगात में
फूले समा नही रहे, खुद से ज्यादा मिली औकात में।
प्रीत की लहराई ओढनिया,भूल गया सब जज्बात में।
रूप में यह पागल दीवाना, चले न जाए हवालात में।
तेरी हँसी से लहराए चमन,मदहोश हुए शुरुआत में।
मेरी चाँदनी मिल गई , उजाला होगा चांदनी रात में।
दिल का जोड़ा मिल गया,जुड़ गए एक मुलाकात में।
जितेंद्र जी भ्रम न फैलाओ,मात्र काल्पनिक है बात में।-
उठो मेरी अनारकली! क्या खाने को बनाए राशन
बर्गर,पिज्जा खाओगी,या अभी करना है योगासन
झाड़ू पोछा कर दिया हु प्रियवर,उठो तैयार है सिंहासन।
मुह हाथ धो लो जल्दी हम जा रहे करने चौका बासन।
फिटनेस,काया हाथी जैसी,कुम्भकर्ण सी निद्रासन
चारा घोटाला डकार गई बाहर खोज रही प्रशासन
दमा मरीज सी हाँफती है,जैसे फूल रहा हो श्वासन
न योग,न आसन,केवल खाकर सो जाती है राशन
हाथी की जोड़ी हिरन से,सर पे पड़ी रहती दुःशासन
जबसे गले पड़ी मैडम,अबतक किया नही ताड़ासन।-
तोड़ो नाता प्यार से दिल चोरी हो गयी
दरोगा जी लिखी FIR फरार छोरी हो गयी
सावली थी लगाके स्किन साइन गोरी हो गयी
रूप की रानी लेकर गायब तिजोरी हो गयी
जादूगरन थी मेरे पीछे हाथ धोकर् होरी हो गयी
थोड़ा खाने पीने को लेकर रात बलजोरी हो गयी
इश्क़ के समुन्दर में मुझे कमजोरी हो गयी
दरोगा जी लिखो FIR फरार छोरी हो गयी-
सबकी बीवी पढ़ी-लिखी सिर्फ हमरी वाली है हाफ।
मेहर छोड़कर सबकी साली,हमको लागे लल्लनटॉप।
मस्त मसाला छोटी साली,सबसे ज्यादा लॉलीपॉप।
हमारी बेगम लड़ाकू विमान,फाइटिंग में जिला टॉप।
बर्गर पिज्जा ठूसती रहती,खाने का नही होता नाप।
सिर पर हमेशा तांडव करती,बढ़ाती घटाती रक्तचाप।
ठहाका लगे बड़ी आफत,रोते भागते बच्चे बाप रे बाप।
एंकर जैसे बहस करती,करतूत पूछती साफ रे साफ।
आधार से लिंक उसका खाता,खुद है अंगूठे छाप।
हेमा सी सजती-सवरती,बाकी कोई काम न काज।
सुबह-शाम कवरेज चलता,रोज की आफत नॉनस्टॉप।
कुम्भकरण सी खर्राटा है, तड़का जैसी इसकी लाफ़।
अपने सर का ताज हमको पहना दिया सार के बाप।
दुःखहरण लेकर दौड़ाती,कलेजा थर-थर जाते काप।-
कहा ले चलेगी किस्मत
कहा तक खींचेगी डोर।
बंधन टूटे ना प्रीत का
प्यार पड़े ना कमजोर।।
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तीन सौ पचास ग्राम का दिल बहुत खूबसूरत सलोना है।
गम आए तो पी लो दारू यहाँ किसके लिए अब रोना हैं।
पम्पूसेट सी धड़के जीया,आंसुओ से खलिहान भिगोना है।
जो चुभाए दिल मे सुईया वैसा नागफली काहे को बोना है।
जिसको जान से ज्यादा सम्भाल के रखु उसे काहे खोना है।
लहू के छिट्टे बिखर गया जर्जर हुआ तन का हर एक कोना है।
उसके कातिलाना चेहरे को समझना नही की सोना है।
तू कहे तो दे दूं कंधा तुझे कितना सुबुक-सुबुक के रोना है।
जो हुआ सो हुआ उसका शिकवा काहे को सँजोना है।
अश्क से जब लहू निकलते भीगता तकिया बिछोना है।
दर्द कहा-कहा दिखाऊ जितेन्द्र,अपना बसेरा ना खटोना है।
इस तन्हाई की ना दवाई है नही मोहब्बत के गुमान ढोना है।-