झंडा ऊंचा रहे हमारा
मेरे देश की ये शान है
मेरे देश की है अस्मिता
मेरे देश की पहचान है।

कितनों ने अपनी जानें दी
फांसी के फंदे चूम के
सीने पर खायी गोलियां
गिर गये ज़मीं पर झूम के।

चाचा कोई बापू कोई;
नेहरू और गांधी शान थे
थे भगत ,आजाद थे
हंसकर दिये जो जान थे।

फेंकू नहीं ,पप्पू नहीं
जो भी थे वे जांबाज थे
मां के चरण में सिर तजे
भारत के पूत महान थे।

अपना लहू दे दे के हम
सींचेंगे बिरवा देश का
चाहे हमे धरना पड़े
अब भेष भी दरवेश का
चाहे हमें धरना पड़े
अब भेष भी दरवेश का।





- जितेंद्र नाथ श्रीवास्तव