धरती सुनहरी अंबर नीला
आया बसंत सरसों पीला
है अलि कली पर लहराते
नाचे मगन सब रंगीला !

है मस्त मगन गंदुम बाली
पत्तों की शोभे हरियाली
है धरा भरी अन्न की थाली
नाचो ख़ुशी में दे दे ताली !

है भरी बगीचे की आली
कूके कोयलिया मतवाली
पेड़ों की ओट से पंचबाण
छोड़े बाण, काम उदीप्त करने वाली !

- जितेंद्र नाथ श्रीवास्तव