धरती सुनहरी अंबर नीला
आया बसंत सरसों पीला
है अलि कली पर लहराते
नाचे मगन सब रंगीला !
है मस्त मगन गंदुम बाली
पत्तों की शोभे हरियाली
है धरा भरी अन्न की थाली
नाचो ख़ुशी में दे दे ताली !
है भरी बगीचे की आली
कूके कोयलिया मतवाली
पेड़ों की ओट से पंचबाण
छोड़े बाण, काम उदीप्त करने वाली !
- जितेंद्र नाथ श्रीवास्तव
22 JAN 2019 AT 12:10