कोई पहली मुलाकात में जाना पहचाना कैसे लग सकता है ?...........
जन्मा हूं मैं तारा बनकर, शायद चांद से मोहब्बत रही होगी ।
जानी पहचानी लगती हो, क्या खुदा के घर में मुलाकात हुई होगी ?-
ख़्वाब कोई अधूरे ना रह जाएं ,
उन्हें एका - एक कागज़ पर समे... read more
घिसता रहा सारी रात मैं, ना एक भी formulae, concepts याद में रहे ।
मुझे लगा paper है out of syllabus, फिर भी लोग ना जाने क्या - क्या लिखते रहे ।
Endsem का सिर्फ एक paper क्या बिगाड़ेगा हमारा grade , Professor से जाके कोई कह दे कि औकात में रहे ।।
-
पता था मुझे, कि इश्क़ में तू इम्तेहान ज़रूर लेगी ।
लेकिन खबर ये न थी, कि इसमें भी तू relative marking करेगी ।।-
एक वतन परस्त की ज़ुबां .....
वादा है चांदनी रात का, मैं हर बरस तुझसे मिलने आऊंगा ।
बिछड़ना तो दस्तूर है ज़िन्दगी का, मैं खुदा से भी लड़कर तुझसे मिलने आऊंगा ।।-
गर खुदा इजाज़त दे .....
तो मैं जन्मूं तेरा अश्क बनकर ।
बीते पूरी उम्र मेरी, तेरे रुख़्सार पर ।
और मरूं तेरे लबों को छूकर ।।-
मैं तेरे नैनों का काजल बन जाऊं ।
जो उड़े हवा तो आंचल बन जाऊं।
तू मेरी होजा मैं तेरा हो जाऊं ।।
मैं तेरे गीतों के अल्फ़ाज़ बन जाऊं।
जो धूप गिरे तो छाया बन जाऊं ।
तू पतंग होजा मैं डोर बन जाऊं ।।
मैं तेरे हांथो का कंगन बन जाऊं ।
जो तुझे प्यास लगे तो दरिया बन जाऊं ।
तू हीर बन जा मै रांझा बन जाऊं ।।
तू मेरी होजा मैं तेरा हो जाऊं ।।
.................To be continued-
जो तुझसे इश्क ना होता, तो यूं मेरा दिल बेचैन ना होता ।
ना तुझे पाने की चाह होती ,और यूं जीने में मज़ा ना होता ।।
जीता, मगर जीने का मकसद ना होता ।
होके रूबरू तुझसे, मै यूं खुद से वाक़िफ ना होता।।
जो तुझसे इश्क ना होता, तो यूं मेरा दिल बेचैन ना होता ।।-
जब लगे होंठ तेरे होंठों से मेरे, लगा यूं की कोई जाम पी रहा हूं मैं।
इस कदर तेरे जिस्म से लिपटा , कि आज भी तेरी खुशबू से महक रहा हूं मैं ।।-
हम उनकी तारीफों के पुल बांध दिया करते थे ।
उनकी एक मुस्कुराहट से हम अपनी रात गुज़ार लिया करते थे ।
रिश्ता दोस्ती का था इसलिए दर्द - ए - दिल छुपा लिया करते थे ।।-
इक अनजानी राह में तू मुझे हमसफ़र सा मिला ।
आज कई अर्से बाद सिर्फ तेरी जुल्फों की छांव में
मुझे सुकून सा मिला ।।
-