Jitender Prakash   (जीतू)
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Joined 17 March 2019


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Joined 17 March 2019
9 MAY 2019 AT 0:56

कोई पहली मुलाकात में जाना पहचाना कैसे लग सकता है ?...........


जन्मा हूं मैं तारा बनकर, शायद चांद से मोहब्बत रही होगी ।
जानी पहचानी लगती हो, क्या खुदा के घर में मुलाकात हुई होगी ?

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6 MAY 2019 AT 18:59

घिसता रहा सारी रात मैं, ना एक भी formulae, concepts याद में रहे ।
मुझे लगा paper है out of syllabus, फिर भी लोग ना जाने क्या - क्या लिखते रहे ।

Endsem का सिर्फ एक paper क्या बिगाड़ेगा हमारा grade , Professor से जाके कोई कह दे कि औकात में रहे ।।

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4 MAY 2019 AT 19:06

पता था मुझे, कि इश्क़ में तू इम्तेहान ज़रूर लेगी ।

लेकिन खबर ये न थी, कि इसमें भी तू relative marking करेगी ।।

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1 MAY 2019 AT 19:53

एक वतन परस्त की ज़ुबां .....

वादा है चांदनी रात का, मैं हर बरस तुझसे मिलने आऊंगा ।
बिछड़ना तो दस्तूर है ज़िन्दगी का, मैं खुदा से भी लड़कर तुझसे मिलने आऊंगा ।।

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29 APR 2019 AT 14:41

गर खुदा इजाज़त दे .....
तो मैं जन्मूं तेरा अश्क बनकर ।
बीते पूरी उम्र मेरी, तेरे रुख़्सार पर ।
और मरूं तेरे लबों को छूकर ।।

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26 APR 2019 AT 17:26

मैं तेरे नैनों का काजल बन जाऊं ।
जो उड़े हवा तो आंचल बन जाऊं।
तू मेरी होजा मैं तेरा हो जाऊं ।।

मैं तेरे गीतों के अल्फ़ाज़ बन जाऊं।
जो धूप गिरे तो छाया बन जाऊं ।
तू पतंग होजा मैं डोर बन जाऊं ।।

मैं तेरे हांथो का कंगन बन जाऊं ।
जो तुझे प्यास लगे तो दरिया बन जाऊं ।
तू हीर बन जा मै रांझा बन जाऊं ।।
तू मेरी होजा मैं तेरा हो जाऊं ।।

.................To be continued

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20 APR 2019 AT 17:35

जो तुझसे इश्क ना होता, तो यूं मेरा दिल बेचैन ना होता ।
ना तुझे पाने की चाह होती ,और यूं जीने में मज़ा ना होता ।।

जीता, मगर जीने का मकसद ना होता ।
होके रूबरू तुझसे, मै यूं खुद से वाक़िफ ना होता।।
जो तुझसे इश्क ना होता, तो यूं मेरा दिल बेचैन ना होता ।।

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18 APR 2019 AT 22:45

जब लगे होंठ तेरे होंठों से मेरे, लगा यूं की कोई जाम पी रहा हूं मैं।
इस कदर तेरे जिस्म से लिपटा , कि आज भी तेरी खुशबू से महक रहा हूं मैं ।।

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17 APR 2019 AT 15:43

हम उनकी तारीफों के पुल बांध दिया करते थे ।
उनकी एक मुस्कुराहट से हम अपनी रात गुज़ार लिया करते थे ।
रिश्ता दोस्ती का था इसलिए दर्द - ए - दिल छुपा लिया करते थे ।।

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16 APR 2019 AT 15:18

इक अनजानी राह में तू मुझे हमसफ़र सा मिला ।
आज कई अर्से बाद सिर्फ तेरी जुल्फों की छांव में
मुझे सुकून सा मिला ।।

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