Jitender Pal "अश्रांत"   (© Jitender Pal "अश्रांत")
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Joined 19 July 2021


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Joined 19 July 2021

आपके मित्र प्रेमिका संबंधी आपके नहीं अपितु..
आपकी सफलता के मित्र प्रेमिका तथा संबंधी हैं।

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क्यों
कान्हा क्यों ?
मेरे अपने मुझे तोड़ते हैं
क्यों खींच लेते मेरे पैरों तले से ज़मीन
क्यों मेरे लिए गम की चट्टानें खड़ी की गई
क्यों मेरे मन की नहीं समझता कोई
क्या मेरा वजूद बस इतना है
लोगों को खुश करूं
जोकर बनूं
क्यों
मेरे जीवन रूपी
पतंग का मांझा काट
दिया
जाता
है
?
!
!
!

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किसी जनवरी के आरम्भ के लिए
किसी दिसंबर का अंत ज़रूरी है।

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मन तो मेरा व्याकुल है तुमको बाहों में भर लेने को,
लेकिन तुम हो कि अबतक शिष्टाचारी भेंट पर हो।

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कार्य समय पर हों इसके लिए
समय को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए,
अपितु परिवर्तन स्वयं में करें
जिससे आप समय से आगे चलें ।

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गिराता हूँ पर्दा अब यहीं पर इस कहानी का,
आपकी दुनिया में मेरा किरदार यहीं तक था।

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सुना था कुछ पाने के लिए
कुछ खोना पड़ता है..

मैंने खोया स्वयं को
अपनी भावनायें
अपना आत्मसम्मान
और अंततः खुशियाँ..

हासिल हुआ एकाकीपन
हासिल हुआ आँसू
हासिल हुई पीड़ाएं
हासिल हुई ठोकरें
और अंततः अपमान..

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पूछ हालत मेरी नदियों के भंवर से...
वो जो लाखों गुना मुझसे सुलझी हुई है

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जब मैं स्वयं ही इस संसार में सामयिक हूँ..
तो रिश्तों में स्थायित्व जाने क्यों ढूँढता हूँ।

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