सुलगायी थी जो तुमने मोहब्बत की आग इस दिल में
अब तुम इसका अन्जाम देखना,
भड़क रही हैं जो ज्वाला मेरे सीने में
अब तुम इसका इन्तेक़ाम देखना
सीना चिर कर बाहर निकलेगा ये शैलाब मेरे दिल से
दिल का जर्रा जर्रा भी टुकड़ो में बिखरेगा
तुम आकर हर टुकड़ो में अपना नाम देखना
मेरे जिस्म से खून का कतरा कतरा भी बहेगा
फ़िर चला जाऊंगा मैं तेरी इस मोहब्बत की दुनिया से
और तुम ख़ुसी से ये नज़रा सारे आम देखना
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