मानों तो सारी दुनिया बसी है फ़ोन में
आजकल इंसान नहीं मिलते फुरसत में-
दर्द जब हदसे बढ़ता है
तब नज़्म बनते हैं
ख़्वाबों दुनिया का तब
हम सफ़र करतें हैं-
दिल में शिकायतें लेकर जाने कैसे मुस्कुरा देते हैं लोग
एक चेहरे पर ना जाने कितने नकाबे पहन लेते हैं लोग-
हर किसी की नज़रें खो गयी हैं
तंत्र और यंत्र में
इंसानियत ढूंढ़नी पडती हैं
किताबों की मंत्र में-
सरकशी करता है दिल कभी कभी
इश्क़ से बाज़ नहीं आता कभी कभी
खा जाता हैं बार बार ठोकर इश्क़ में
यादों को भुला नहीं सकता कभी कभी
बहुत मासूम बनकर कंबख्त दिल भी
तनहाई का शिकार होता हैं कभी कभी
कितना भी समझाओं नादान दिल को
सरकशी की हदें पार करता कभी कभी-
नहीं हो सकता रोबोट
कभी भी इंसान से बेहतर
भावनाओं का स्त्रोत
है केवल इंसान के अंदर-
अधूरा रह जाता हैं,
बाती और ज्योती का संग
जब बुझती ज्योती,
तो रह जाता धुएं का संग-
तुम्हारी खुशी इस गुलाब से बरक़रार रहें
दिल की दुनिया में इश्क़ का गांव आबाद रहें-
गुलशन में डाल पर इश्क़ के फ़ूल खिलें हैं
दिल की चमन में दिल से दिल जो मिलें हैं-