रख लो हमें दिल में दिल बनाकर
अगर! धड़कनों से तुझे प्यार हैं
साँसों की तरह मुझे महसूस करना
ये जानने को “जिंद” बेक़रार हैं-
तुझे पता है ना मुझे तेरे हाथ कितने पसंद हैं
क्या एक तस्वीर भेजोगी मेरे लिए…-
आफ़रीन तेरी नज़रों के तीर मेरे सीने पे चल जाए
मैं घायल हो जाऊँ और तूँ मेरे ज़ख़्मो पे मरहम लगाए-
आँसुओं की स्याही से लिखा है पैग़ाम तुझे
तेरी संग जीने का क्या मिला है ईनाम मुझे
कुछ भी होता मगर ! यूँ बेवफ़ा ना होता तूँ
भरी महफ़िल जाम तो पीते “जिंद”
मगर ! उस महफ़िल में बदनाम ना होता तूँ-
कोई शिकवा नहीं है मुझे कि मैं कठोर बन रहा हूँ
गलती मैंने की है तो इसे मैं खुद ही बोल रहा हूँ-
तूँ होने ना दे मुझे बेवफ़ा,
कि तेरी हँसी से दिल दुखने लगे
ना कर हमारी मोहब्बत को बेइज्जत,
कि शर्म से मेरा सिर झुकने लगे-
When you are going through a period of trauma
after someone leaves you,
you have to take refuge in something,
so I turned to the pen.-
आदत बदलते बदलते वो खुद बदले
वो जीत कर भी हार गये…
हम जीते भी तो हमें दुख हुआ
मगर जाते-जाते सुख उनपे हम बार गये-