जीवीरा सिंह   (जीवीरा सिंह)
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Joined 12 December 2017


Joined 12 December 2017

Tu kyu hai,
kya hai,
Tu dundh khud ko,

Kisme tu behtar hai pehchan khud ko,
Kab tak dusaro ki sunni baato ka bura manega,
Or Kab tak tu uhi bas haarega,

Abhi hi waqt hai khud ko pehchane ka,
Abhi hi waqt hai khud ko sambhalne ka,
Chal uth lad apni galtio or majburio se,
Teri yahi himmat tujhe ek din kaamyaab banaega.— % &

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20 MAR 2020 AT 21:54

वो पहली मुलाकात मुझे याद रहेगी,
वो आखरी बार बात मुझे याद रहेगी,

वो मेरा न गलत होकर भी गलत होना याद रहेगा,
और तेरा गलत होकर भी सही होना मुझे याद रहेगा,

तुझे कोई गलत न समझे इसलिए मेरा झूठ बोलना भी याद रहेगा,

मेरा कब तक और किस तरह झूठ छुपाना भी याद रहेगा,

तेरा मेरे एक झूठ पर सुनना याद रहेगा,
और सच बोलने केे लिए तेरा गुस्सा याद रहेगा,


काश समझा होता कि झूठ और सच में कौन सच्चा है कौन झुठा,

तो ये तेरा अचानक से बदल जाना मुझे याद कभी याद न रहता

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बिना कुछ सोचे समझे,
किसी से बिना डरे,
वो राह दिखा देती है,

बिना वो किसी केे सहारे,
एक टूटे से खंडहर को भी,
घर बना देती है,

उसे खुद से ज्यादा,
दुसरो का ख्याल होता है,

जनाब,

वो औरत ही होती है,
जो माँ-बेटी-बहु केे रूप मे,
हर पल साथ निभाती है |



HAPPY WOMEN'S DAY

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किसी से प्यार किया था मैंने,
वो रिश्ता बेशक,
कुछ पल का ही था,
मगर कुछ बिना सोचे समझे उस पे विश्वास किया था मैंने
शायद में उसके काबिल नहीं था,
मगर फिर भी ये जान केे प्यार किया था मैंने,

बस अब,
उसकी याद और उसके प्यार को,
अपने दिल केे कोने में दफन किया था मैंने |


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Kabhi kabhi,
hum kuch kehne maine der kar dete hai,

Kabhi kabhi,
Hum kuch samzne maine der kar dete hai,

Kabhi kabhi,
Kuch bura soch kar, kuch ache ko kho dete jai,

Iss Kabhi kabhi ke chakar Maine,
Hum roo dete hai.

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Kuch Logo ne mujhe iss kadar badal diya... Jaisa maine na tha uss had tak girne par majbur kar diya...

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30 DEC 2019 AT 19:56

लोगों ने पूछा तुम्हारा 2019 कैसा गया,
तो मैंने कहाँ जनाब
नहीं अच्छा गया तो नहीं बुरा गया,
बस बहुत कुछ सीखा केे गया..

HAPPY NEW YEAR 2020

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28 OCT 2019 AT 21:04

*वो आँखे याद रहेंगी*

वो परदे में थी,
पर उसकी आँखे बहुत कुछ बोल रही थी,
वो मेरे लिए अन्जान थी,
मैं उसके लिए अन्जान था,
मगर फिर भी न जाने क्यों,
हमारी ख़ामोशी कुछ बोल रही थी,

शायद ये वो दिल केे जज़्बात थे,
जो हर इंसान केे अंदर ही कहीं रह जाते हैं,
शायद ये वो मोहब्बत थी,
जो कुछ पल साथ रह कर फिर उसे भुला दिए जाते हैं...



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22 OCT 2019 AT 13:47

थोड़ा देर कर केे ही सही मगर आना जरूर
माना अभी कुछ उलझनों में तू उलझा हुआ हैं
वक़्त लेकर ही सही मगर सुलझा कर आना जरूर

मुझे न कभी तेरे जिस्म से प्यार था,
न ही कभी तेरे पैसो से,
मैं तो बस एक तेरी मुस्कान का दीवाना था,

तू उस रोज़ मुझे छोड़ गया,
जब मुझे तेरी सबसे ज्यादा जरुरत थी,
मैं तुझे सच बताना चाहता था ,
मगर हमारे बीच तब तक काफ़ी दुरी थी,

बहुत कोशिश की,
सुकून मैं तुझ से मिल कर
सब कुछ बताने की,
मगर तू हर वक़्त,
वयसत रहा क्योंकि वो तेरी मज़बूरी थी,

मैं इंतज़ार करूँगा उस वक़्त का
जब तेरा साथ तो होगा भले प्यार वाला नहीं,
मगर दोस्ती का पूरा एहसास होगा,

माना उम्र छोटी हैं मेरी,
मगर मेरा साथ सच्चा है,
माना बहुत कुछ छुपाया तुमसे,
मगर मेरा प्यार सच्चा है,

सब कुछ सही होगा एक दिन
मुझे ये जो भरोसा दिलाता है तू,
बस ये तेरा भरोसा और गुरुदेव का साथ
मेरी ज़िन्दगी में सबसे अच्छा है





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इस दशहरा एक वादा कर खुद से,
जो तेरे अंदर का रावन है उसे तू भी जला देगा,
जो पुरानी यादों केे सहारे मर मर केे जी रहा है तू,
उसे तू भुला देगा,

नशे में तू चुर इतना है कि, तुझे तेरी यादों केे इलावा कुछ दिखाई नहीं देता,
वो तेरी माँ तेरे इंतज़ार में तुझे कब से पुकार रही है,
मगर तुझे तेरे शराब के कारण कुछ सुनाई नहीं देता,

उठ और,
मार अपने इस अंदर केे रावन को,
जला दे उन यादों को,
जो तुझे एक नयी ज़िन्दगी की शुरूआत नहीं करने देता

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