कोरा सा वो कागज़ आज भरने लगा है कुछ उम्मीदों से या फिर कुछ ख्वाहिशों से खिलने लगा है, फिर बात चाहे किताब की हो या ज़िंदगी की हर पन्ना चमकने लगा है, इसीलिए कहते है ना राह छूटे चाहे चाह छूटे पर ज़िंदगी से आशाएं ना टूटे।।
और कह रही है की ए इंसान! तू तो जीवन की उन परेशानियों से थककर अभी तक सोया है, या तो मेरा समय छोटा है या तेरी परेशानियां बड़ी पर मुझे तो जाना पड़ेगा क्योंकि मेरा सवेरा आया है और तेरे लिए एक नई उम्मीद भी तो लाया है।।