आए थे किसी रोज तेरे शहर, एक ख्वाब लेकर, कहने को खूब सारे अल्फाज़ ले कर, अब है खोए कहीं यह जान ले कर, नहीं होते मुक्कमल ख्वाब यह, पहचान लेकर.... -
आए थे किसी रोज तेरे शहर, एक ख्वाब लेकर, कहने को खूब सारे अल्फाज़ ले कर, अब है खोए कहीं यह जान ले कर, नहीं होते मुक्कमल ख्वाब यह, पहचान लेकर....
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ना किस्सा, ना हिस्साना कहानी, ना ही कोई जिक्र,ग़र यही तुम चाहो, तो वही होगा.. -
ना किस्सा, ना हिस्साना कहानी, ना ही कोई जिक्र,ग़र यही तुम चाहो, तो वही होगा..
बस यूँ ही एक खयाल आया,कहीं गहरा एक सवाल आया,अगर होता लिखना किस्मत मेरी, हाथ मे तेरी,क्या होती फिर यह तकदीर मेरी? -
बस यूँ ही एक खयाल आया,कहीं गहरा एक सवाल आया,अगर होता लिखना किस्मत मेरी, हाथ मे तेरी,क्या होती फिर यह तकदीर मेरी?
रास्तों मे मंज़िलों के, और सफर मे जिंदगी के जो कभी दोबारा मिलना हुआ..... यकीनन हम वैसे ही मिलेंगे जैसे पहले मिले थे..... -
रास्तों मे मंज़िलों के, और सफर मे जिंदगी के जो कभी दोबारा मिलना हुआ..... यकीनन हम वैसे ही मिलेंगे जैसे पहले मिले थे.....
रोजमर्रा का यह सफर है,हर रोज़ के यह रास्ते है और फिर भी जाना कहीं नहीं है... -
रोजमर्रा का यह सफर है,हर रोज़ के यह रास्ते है और फिर भी जाना कहीं नहीं है...
कितना भी चाहो, तुम बाँधना वक़्त को,ये फिसलता चला जाएगा..करोगे जितनी कोशिश,उसे थाम के रखने की,हाथों मे तुम्हारे वो निशान छोड़ जाएगा..... -
कितना भी चाहो, तुम बाँधना वक़्त को,ये फिसलता चला जाएगा..करोगे जितनी कोशिश,उसे थाम के रखने की,हाथों मे तुम्हारे वो निशान छोड़ जाएगा.....
फिर एक बार ये टूट गया,हज़ारो किश्तों मे ये बिखर गया... -
फिर एक बार ये टूट गया,हज़ारो किश्तों मे ये बिखर गया...
आये तेरे शहर हम, ले कर कुछ ख्वाब,अब तो आजा, सजा दे मेरे अधूरे वो साज.... -
आये तेरे शहर हम, ले कर कुछ ख्वाब,अब तो आजा, सजा दे मेरे अधूरे वो साज....
यूँ ही दिन गुजर जाते है,इस उलझनों मे तेरी ए जिंदगी,कभी कभी तो हमे, खुद से बात करना भी नसीब नहीं होता.... -
यूँ ही दिन गुजर जाते है,इस उलझनों मे तेरी ए जिंदगी,कभी कभी तो हमे, खुद से बात करना भी नसीब नहीं होता....
तेरे पास है पूरा सागर, डूब जाने को,क्यु ठहरा तू किनारे पे, प्यासा रह जाने को... -
तेरे पास है पूरा सागर, डूब जाने को,क्यु ठहरा तू किनारे पे, प्यासा रह जाने को...