Jigar Joshi  
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Joined 18 June 2019


Joined 18 June 2019
9 MAR 2023 AT 19:58

उनके दिल से कुछ लोग उतर गए...
मत पूछो के फिर वो किधर गए...
कुछ को नियत-ए-शौख अब भी होगा...
पर कुछ लोग खेल-ए-मोहब्बत से ऊब गए।।

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8 FEB 2023 AT 22:27

तुम वहां थे, तो खामोश क्यों थे..
अगर खामोश थे, तो वहां क्यों थे।।

तुम आज़ाद थे, तो घर ही मैं क्यों थे,
जे घर ही में रहे तो भला आज़ाद क्यों थे।।

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18 OCT 2022 AT 22:35

हर शय में ढल चुका हूं, जोर से हस्ता नहीं...
मैं टूटता तो अब भी हूं, पर बिखरता नहीं।

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24 SEP 2022 AT 12:33

पीने पिलाने के बातें न करो...
हम को पिलाया करो।।

देखो तुम बकवास मत करो,
शायरी किया करो....

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4 SEP 2022 AT 9:50

मैं पार हो गया...


सहर से शाम हो गया
अफरातफरी से आराम हो गया।
बिखर के ज़ार ज़ार हो गया,
टुटके दीवार हो गया।।
कश्तियों से पार हो गया
दरिया कोई बेशुमार हो गया...

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17 JUL 2022 AT 19:41

उन्हे सबकुछ होने का गुरूर है....
हमें कुछ नहीं होने का घमंड....

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10 JUL 2022 AT 22:18

जी को रह रह के दर्द होता है...
क्या कोई यार... ऐसा यार होता है..

थक चुके है कदम चलते चलते..
अब ठहरके मंजिलों का इंतजार होता है..
जी को रह रह के दर्द होता है...

अपना पराया कोन है क्या मालूम सनम
हम को हर शक्श पे कहां एतबार होता है...
जी को रह रह के दर्द होता है...

परेशानियां रहीं,जबतक नादानियां चलीं...
बाद तजुर्बे के सब इख्तियार होता है...

जी को रह रह के दर्द होता है...
क्या कोई यार... ऐसा यार होता है..(2)

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27 JUN 2022 AT 21:31

जस का तस है,
ख्वाहिशों वाला मन बेबस है।

अब के बस ये सुकून है,
जान लेने वाला जां का ही एक्स है...

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6 JAN 2022 AT 21:45

જોવા માટે આંખ નહીં નઝર રાખવી પડે..

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6 JAN 2022 AT 21:40

પામવા થી કઈંક જટાઈ ગયું,
આપવા થી કઈંક લભાઈ ગયું,

બે દિન નું આ જીવન.....
બે રાત ના ઉજાગરા માં કપાઇ ગયું.

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