वक्त़ के साथ कुछ यादों और ख्वाबों की पोटली बनाकर
अलमारी के किसी कोने में रख देना बेहतर होता है ....-
जितनी बारीकी से जोड़ने की कोशिश कर... read more
वो फिर भी कोसों दूर था
बेहद चाहत थी फिर भी दिल मजबूर था
दुबारा उसका ऐतबार करती भी तो कैसे
पहली दफ़ा दिल तोड़ा भी तो उसी ने था-
फिर मुलाक़ात हो
कुछ अनकहीं बातें फिर आज हो
शायद न मिलना ही मुक्कदर हो
तो क्या चल नये सिरे से जिंदगी
की फिर एक नयी शुरुआत हो-
हर बात अधूरी रह जाती है
ख्वाहिशें तो यूँ बहुत थी मेरी पर
कमबख़्त हर मुलाक़ात अधूरी रह जाती है-
रंग काला है मेरा पर
नियत साफ रखती हूँ
मैं कुछ बोलूँ ना बोलूँ
दिल में दफन काफी
जज्बात रखती हूँ
-
बेचारा शायद,
किसी शख्सियत की गहराई मापने निकला था
अपने खोखलेपन का ढोल बजाकर चला गया-
हर रिश्ते की ना अपनी एक उम्र होती है
जो एक सही वक़्त पर ख़त्म हो जाती है
पर ये फैसला सिर्फ़ हम ही कर सकते हैं
अब वो रिश्ता अच्छी मौत मरे या फिर बुरी
-
दिन के पहर सारे अब जैसे ढल से गये,
अच्छे बुरे नक़ाब भी सबके गिर ही गये।
अपने ही किये कर्मों की सफाई देते -देते,
कुछ अपने मेरे मेरी नजरों से गिर से गये।।
-