अभी इस तरफ न निगाह कर,
मैं गजल की पलकें संवार लूँ।
मेरा लफ्ज़ लफ्ज़ हो आईना,
तुझे आईने में उतार लूँ!!-
"मैं तो बैरागी हूँ, न सम्मान का मोह, न अपमान का भय"
हम श्रम नायक हैं ... read more
कितना भी कर ले, चाँद से इश्क़,
रात के मुक़द्दर मे,
अँधियारे ही लिखे हैं !-
ये उम्र बढ़ने के बजाय
घट जाती तो क्या बात थी,
ज़िंदगी माँ की गोद
में कट जाती तो क्या बात थी.❤️-
हुस्न की ये अदा मुझे फ़िर से लुभा रही है,
कहीं प्यार तो नहीं हो गया तुमसे,
ये बात मुझे सता रही है! — % &-
लक्ष्मण सा मूर्छित पड़ा,
देखो ये संसार।
ले आवो संजीवनी प्रभु।
अब करदो उद्धार!!-
मुस्कुरा के खता करते हो,
आदतें क्यों ख़राब करते हो।
जब मुहब्बत ही नहीं करनी है
तो इतना क्यु इतराती हो!!-
दिल को सबके लिए पत्थर बना के रखा है,
बस मेरी याद को जेवर बना के रखा है,
जिसको तुम लड़की समझते हो,जादूगरनी है,
जानि कितनो को कबुतर बना के रखा है..!-
साकी देख ज़माने नें
कैसी तोहमत लगाई है
आँखें तेरी नशीली है और
शराबी हमें कहलाई है!!-
हम तो तारीफ लिखने बैठे थे
उनके मुकम्मल हुस्न पर,
मगर ये अल्फाज़ ही थम गए
उनकी झुकी नज़रे देखकर।-