Jeshu Sharma  
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Joined 26 July 2018


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17 MAY AT 2:30

हमसे बेहतर कौन जान सकता है,
तुम्हें चाहा है अरसों से,

और तुम्हारे साथ छोड़ जाने के बाद भी,
सिर्फ तुम्हें ही चाह रहें हैं ..!

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15 MAY AT 23:37

ही दर्द देते हैं,
वरना ग़ैरों में इतनी हिम्मत कहां..

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15 MAY AT 2:09

जो तुम्हारे साथ गुजारे थे..





तुम्हें याद करतें हैं,वो दिन नहीं..

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15 MAY AT 1:40

वो वक्त वे वक्त याद आता है..
कभी मुस्कान बनकर तो,
कभी आंसू बनकर...

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14 MAY AT 1:03

अब बहुत बड़ी सी लगती है..
मजाल है
जो तुम,अब कहीं भी दिख जाओ हमें..!

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13 MAY AT 16:53

बनकर भटकती हूं,

न वो सफ़र मिला अब,
और न ही मुसाफ़िर..!

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7 MAY AT 19:36

यूं तो बहुत हैं आज़ भी,


बस तुम्हारे साथ जीने की अहम थी..!

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7 MAY AT 19:33





अब,
कभी लौटकर नहीं आएगी...!

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7 MAY AT 14:37

अब कहां..

गुज़र रही है ज़िंदगी...,
एक मुकम्मल ज़िंदगी के लिए..!

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1 MAY AT 23:32

कच्ची मिट्टी के मकानों में रहने वाले,
शहर दर शहर ऊंची इमारतों..
का निर्माण करते हैं...!




~~ समर्पित
मजदूर दिवस..

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