jeetendra mahto  
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Technical Design Lead
Joined 22 February 2020


Technical Design Lead
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18 JUN 2024 AT 12:13

बहुतेरे किस्से और दास्ताँ परोसती,
कहानियाँ तो नहीं कुछ पन्ने बस
लिख रखी है, उस मोड़ चलें क्या!!
आंसूं, हँसी,खुशी, ठिठकियाँ
सब बाँध रखी बस्ते में,
दिखती वो सब आम सी ही,
तू कहे तो, उस ओर चलें क्या!!!!

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18 JUN 2023 AT 4:59

दुर्लभ बातें अनगिनत अतरंगी आरज़ू,
हर कदम दर्श समर्पण सालों का सफर,
तुम संग जैसे जलतरंग जन्मों का कसर,
ओस सी बरसती ओस सी ही जमी,
पत्ते तिनके को एक बूँद की ही कमी,
दुर्लभ बातें अनगिनत अतरंगी आरज़ू !!




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9 MAR 2023 AT 7:14

एक शाम, एक सहर,
धुप छाव दोपहर,
सब रम से गए तेरे आने से,
एक गांव, एक शहर,
और आठो पहर,
थम से गए तेरे आने से !!

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18 NOV 2021 AT 16:47

क्यूँ यूँ ही खोये खोये से फिरते हो,
उलझे प्रश्चिन्हित द्व्न्द लिए फिरते हो ।।
तनिक थम के उलझने मिटा क्यूँ नहीं लेते,
लंबी है ये राह पुरानी बेड़ियाँ हटा क्यूँ नहीं लेते ।।

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7 SEP 2021 AT 1:50

कभी कभी फ़िक्र होती तेरी,
तू भाई है मेरा,
कभी कभी डाँट भी देता हूँ,
यूहीं आदतन ही।
याद है लप्पड़ मारना भी लड़कपन पर,
तू भाई है मेरा,
भाई से ज्यादा पेरेंट्स बन जाता हूँ,
यूहीं आदतन ही।
ज़िन्दगी की नयी सी खबर ले,
तू भाई है मेरा,
नयी ऊर्जा नयी आयाम ले उठ,
यूहीं आदतन ही।

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21 JUL 2021 AT 1:49

मेरे ना और तेरे ना की कुंठित दुरी इतनी है बस !
एक ज़िद जैसे ठान ली हो,
सरल सरपट डगर पे नज़र कहाँ थी तब,
मेरे हाँ और तेरे ना के कुंठित दूरी इतनी थी बस !!
जैसे चल पढ़ा किसी अनजाने गली,
मंज़िल पे नज़र कहाँ थी तब,
मेरे ना और तेरे हाँ की कुंठित दुरी इतनी थी बस !
कूद पड़ा कोई तैराक,
गहरे गोते पे नज़र कहाँ थी तब,
मेरे हाँ और तेरे हाँ की नज़दीकी इतनी है बस !!

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17 JUN 2021 AT 6:04

रोशन दिए और ,
गुपचुप बातों की गूंज लिए !
धूल जाने दे, बीते साल की धूल जमीं,
नए कहानी बून, झूम नयी सी गगन थमी !
अंगड़ाईयाँ लिए, सागर सी ढल रही शाम वहीँ,
हर फिक्र बहा ले जा रही, हर लहर का है काम वही !
आ चल ले चल वही डगर,
रोशन दिए और ,
गुपचुप बातों की गूंज लिए!!

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21 APR 2021 AT 20:04

राम आये अवध में,
सहर्ष सरयू उज्वल धार करती स्वीकार,
नव सृजन का उद्गम स्वयं प्रभु,
धन्य धरा सी अयोध्या,
कर रही राम आगमन कोटि गुणगान,
खेलें जिस धरा में स्वयं प्रभु,
राम आये अवध में !!!

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8 APR 2021 AT 6:36

अम्बिया की घनेरे वृक्ष और ,
करवट लेती गलियां कमाल लगती है!
!!थोड़ा एडजस्ट कर लूँ आइना!!
स्कूटी के आईने में तेरा चेहरा और,
तेरी उड़ती लटें भी कमाल लगती है!!

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28 MAR 2021 AT 11:57

कहानियाँ
गांव की कच्ची सड़क की,
अब भी अपनी खुशबू समेटे है !
रेत की अंधड़ की सच्ची अकड़ की,
अब भी अपनी खुशबु समेटे है !!

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