दुखों से कभी घबराना नहीं,
सुखों पर कभी इतराना नहीं |
वक़्त कब कैसे पलट जायेगा,
किसी को कोई पता नहीं ||-
सब कुछ महंगा हो गया
मगर माचिस आज भी
एक रुपये पर रुकी हुई है ..
पता है क्यूं ???
क्यूंकि आग लगाने वालो की कीमत
कभी नहीं बढ़ती....-
तुम्हे छोड़ कर जाने का मन तो नहीं करता
पर क्या करू जाना भी जरुरी है ,
एक तरफ तुम खड़ी हो
दूसरी ओर मज़बूरी है,
तेरे मेरे दरम्यां है एक डोर दुनिआ की
बहुत बड़ी ये दूरी है,
हो सके तो याद रखना दुआओँ में
आऊंगा लेने तुम्हे कोशिश मेरी पूरी है....-
मेरे शहर की सुनसान गलियों में
वो आये भटकते हुए |
रास्ता तो मिल गया
पर मंज़िल नहीं मिली ||-
खुद्दार मेरे शहर का
भूख से मर गया |
राशन तो लेना था
पर महंगाई से डर गया ||
🖋JDS🖋-
मेरे वो खुशमिज़ाज़ दिन....
वो भी क्या दिन थे
नज़ारे सब नमकीन थे
रातें भी थी जवां तब
सपने भी रंगीन थे ||
वो भी क्या दिन थे ....
हॉस्टल की वो मस्तियाँ
रंग बिरंगी हस्तियां
रात भर वो जागना
नोट्स किसी से मांगना
फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ
मुश्किल तो बस ये तीन थे ||
वो भी क्या दिन थे ...
पेपर दे के वापिस आना
फिर से मस्ती में खो जाना
लाइब्रेरी में रात की पढाई
दोस्ती में छोटी मोती लड़ाई
सब वो लम्हे हसीन थे ||
वो भी क्या दिन थे ....-