कौन किसका गुनाहगार यहाँ,
सबके हालात जुदा होते हैं,
माफ उन्हें भी कीजिए जो हो पत्थर दिल
सुना है पत्थर में खुदा होते हैं!!-
प्रेम की दो परिभाषाएँ है
पहली वो
जिसे शब्दों की
आवश्यकता ही नहीं, जो प्रकट है
छुपाया जा ही नहीं सका,
ये वही प्रेम जो अपनों से होता है!!
दूसरी वो
जिसकी
परिभाषा अनंत तक तोड़ी
मरोड़ी जाती है ताकि वो
प्रेम की तरह लगे
ये वो प्रेम है जो दिखाया
जाता है, है!!
मगर कभी होता ही नहीं है!!
Jazzbaat
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ग़म के मारे अच्छे थे
बेसहारे अच्छे थे ,
जीते तो राज भी जान गए
वो जो हारे अच्छे थे !!-
जो स्वप्न हो जगती आँखों के
वो स्वप्न ही जब छल जाते हैं,
तब रात अँधेरी शूल लगे,
और उजियारे खल जाते हैं!
दिल की दीवारों पर सीलन
और दरवाज़ों पर जंग लगे,
जब मौसम सब रंगों वाले,
बिन मुस्काये ढल जाते है!!-
कानों में गुनगुन कहती,
हँसती या गुमसुम रहती
गीत बनकर मेरे दिल में
प्राणों में रुनझुन बहती!!
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कहीं सजदा और रब कहीं ,
अब नहीं,अब नहीं ,अब नहीं !!
मैं पहले नासमझ था मग़र,
अब नहीं, अब नहीं, अब नहीं!!
जसप्रीत (jazzbaat)
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शब्दों को तो मक्कारी की आदत है ,
हालांकि!!मन माने,तब ही आफ़त है !!
नीम कर्म पर चढ़ा हो शहद शब्दों का ,
भाग लो मियाँ, फ़िर तो आप की शामत है!!
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उस मुक़ाम पर हुँ आ पहुँची,
जहाँ सब खोना है और खो के पाना है!!
यूँ जीना भी है जिंदगी की ,
मरना नहीं मग़र मौत को छू कर आना है !!
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