अब तो कविता भी
तुम्हारे जैसी हो गई है
रूठी रूठी सी
थकी थकी सी
बदली बदली सी
मैं लिख तो लेती हूँ
लेक़िन वो बात नहीं बनती 🍃
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कहाँ होती हैं सब हसरतें मुक़म्मल
फ़िर भी किस्मत से रहा न कोई गिला ।
चलता रहा यूँ ही अज़ीब सा सिलसिला
किसी को मैं न मिली मुझे तू न मिला ।
ढूँढा तो बहुत तुझे लेकिन हर सू न मिला
मिले कई तेरे जैसे पर हू ब हू न मिला ।— % &-
समझ नही आती कि दिल अब क्या चाहता है
मुझे लगता है अब दिल कुछ भी नही चाहता है ।
चाहती हूँ अब मैं कि तुम्हें मुझसे छीन ले कोई
बेसबब ही दिल तुझे अब गँवाना चाहता है ।
दुआ इतनी सी है अब कि तेरी बद्दुआ कबूल हो
तेरी नज़रों के सामने दिल ख़ाक होना चाहता है ।
नही ख़्वाहिश कि इन महफ़िलों की रौनक बनूँ
बस यह दिल कहीं दूर निकल जाना चाहता है ।
बहुत आजमाइशों से गुज़रा है यह दिल अब तक
बस एक आख़िरी दफ़ा तुम्हें आज़माना चाहता है ।— % &-
हसरत-आमेज़ था वो किस्सा भी
जिसे सोच परेशां रही मैं रात भर ।
बेहिस-ओ-हरकत बैठी रही थी
तख्य्युल करते रहे पीछा रात भर ।
इक शख़्स दफ़अतन खो गया
जिसे ढूंढती रही आसमाँ में रात भर ।
क्यों पैवस्त है मिरी रूह में इस क़दर
पूछती रही क़ातिब-ए-ज़ीस्त से रात भर ।
नाफ़-ए-शब में हिद्दत यूँ बढ़ती गई
चाँद को जलाती रही फ़िर रात भर ।— % &-
सुना है वो बहुत उदास रहती है
गई रात नज्में लिखती है
और जब उन नज़्मों को तन्हाई में गाती है
तो पता नहीं कब उनमें से मनफी हो जाती है
हँसती हँसती रोने लगती है
रोते रोते हँसने लगती है
उसकी आँखों में इतना सन्नाटा है जैसे
कोई परिंदा ख़ुदकुशी कर गया हो .....//— % &-
सिर्फ़ आज ही नहीं
हम रोज़ यह
इक़रार करेंगे
दिल में तुम ही थे
तुम ही हो
तुम ही रहोगे
हां हम तुमसे
सिर्फ़ तुमसे
प्यार करेंगे
वैसे तो कोई
है ही नहीं तुमसा
अग़र होगा भी
तो हम कौनसा
तस्लीम करेंगे ।— % &-