मै कहां खुश हूं तुम्हारे जाने से,
लौट आओ अब किसी बहाने से,
तरस गई है आंखे तुम्हे देखने को,
अब भरता नहीं दिल आने के झूठे अफसाने से।
सदियों से कर रही हूं इंतेज़ार मै,
और तुम भी थकते नहीं रुलाने से।
संभाली हूं तुम्हारी यादों को दिल में कहीं,
जैसे छुपा कर रखी हूं जमाने से।
रूठी हूं खुद से मैं,
मान जाऊंगी तुम्हारे मनाने से,
मिट जाएंगे गम सारे मेरे,
बस तुम लौट आओ किसी बहाने से।
- js❣️
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