कल सुबह का सूर्योदय
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नहीं हुआ आज,
सूर्य का उदय,
दिखाई दे रही है,
अभी चाँद की परछाई ।
एहसास हो रहा है,
तारों के होने का ।
अभी चिड़ियों की चहचहाहट भी नहीं गूंजी।
काफी देर हो गया सवेरा हुए।
लगता है,
सूर्य आज उदास बैठा है,
सायद, वह जान चुका है,
होते ही सवेरा,
लगा लेंगे लोग,
मुखौटा सच्चाई का,
ईमानदारी का और निकल जायेंगे,
अपने-अपने काम पर।
मुखौटे की आड़ में करेंगे
चोरी, धोखा और बिछा देंगे
झूठ की चादर।
'देखता रहेगा सूरज,
उदय से अस्त तक
उसे पता है, शाम होते ही
लोग लौट आएँगे,
अपने घर के आँगन में,
हाँ फिर रख देंगे मुखौटे को,
किसी आलमारी में,
और करेंगे इंतजार,
कल सुबह के सूर्योदय का ।।
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