Jayshree Bhargava   (Jayshree Bhargava)
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Joined 13 September 2020


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Joined 13 September 2020
18 JUL 2024 AT 23:54

उनकी राहों में एक चिराग जला रखा है,
वो आएंगे इक रोज़, ये सबको बता रखा है,
लोग हँसते हैं अक्सर हमारी नादानियों पर,
के हमने उनका पसंदीदा इत्र लगा रखा है।

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7 JUN 2024 AT 13:52

ये दो हांथ ही तो होते है,
जो किसी को खींच कर
कभी मंच पर ले आते हैं।
और कभी वहीं से धक्का दे देते हैं...

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5 MAY 2024 AT 8:17

पल-पल जो इतने रंग बदलते हो
सच बताना आजकल
किन गिरगिटों की संगत में रहते हो?

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14 APR 2024 AT 18:14

शरारत करके नादान बच्चे और
उनको बार बार डपटते हुए बड़ो में
ज्यादा फर्क नहीं होता
दोनों ही अपने मन से असंयमित होते हैं

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12 APR 2024 AT 9:25

हर भूखे को रोटी मिले
कहां मुमकिन है
और हर भूख रोटी की हो
ये भी तो जरूरी नहीं....

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5 APR 2024 AT 6:18

मुहाने पर खड़े जो गर्त के
हमें अपनी औकात दिखाते है
ऊपर खुदा भी उनपर हंसता है
के आ तुझे तेरी ज़ात दिखाते है..

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3 APR 2024 AT 21:15



लोग कैसे एक पल में
आपको कटघरे में खड़ा कर
खुद न्यायधीश बन जाते हैं
प्यार करते हैं मुखोटों से
और सच्चाई पर इल्ज़ाम लगाते है

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16 MAR 2024 AT 17:37

कागजों पर स्याही से कुछ नाम उकेरे थे
हालातों की बारिश में सब धुंधले हो गए

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6 MAR 2024 AT 9:12

कुछ किस्से अनकहे
अनकहे ही रह गए
कुछ मुस्कुराते चेहरों की भेंट
हमारे सारे आंसू बह गए

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5 FEB 2024 AT 12:51

मेरी यादों में झिलमिलाता है
आज भी एक नज़ारा
वो चंचल झरना और खूबसूरत
नदी का किनारा
पैरों को पानी में डूबो के बैठा
एक प्रेमी युगल
लेकर एक दूसरे के कांधों का सहारा...

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