उनकी राहों में एक चिराग जला रखा है,
वो आएंगे इक रोज़, ये सबको बता रखा है,
लोग हँसते हैं अक्सर हमारी नादानियों पर,
के हमने उनका पसंदीदा इत्र लगा रखा है।
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ये दो हांथ ही तो होते है,
जो किसी को खींच कर
कभी मंच पर ले आते हैं।
और कभी वहीं से धक्का दे देते हैं...-
पल-पल जो इतने रंग बदलते हो
सच बताना आजकल
किन गिरगिटों की संगत में रहते हो?
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शरारत करके नादान बच्चे और
उनको बार बार डपटते हुए बड़ो में
ज्यादा फर्क नहीं होता
दोनों ही अपने मन से असंयमित होते हैं-
हर भूखे को रोटी मिले
कहां मुमकिन है
और हर भूख रोटी की हो
ये भी तो जरूरी नहीं....-
मुहाने पर खड़े जो गर्त के
हमें अपनी औकात दिखाते है
ऊपर खुदा भी उनपर हंसता है
के आ तुझे तेरी ज़ात दिखाते है..
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लोग कैसे एक पल में
आपको कटघरे में खड़ा कर
खुद न्यायधीश बन जाते हैं
प्यार करते हैं मुखोटों से
और सच्चाई पर इल्ज़ाम लगाते है-
कागजों पर स्याही से कुछ नाम उकेरे थे
हालातों की बारिश में सब धुंधले हो गए
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कुछ किस्से अनकहे
अनकहे ही रह गए
कुछ मुस्कुराते चेहरों की भेंट
हमारे सारे आंसू बह गए-
मेरी यादों में झिलमिलाता है
आज भी एक नज़ारा
वो चंचल झरना और खूबसूरत
नदी का किनारा
पैरों को पानी में डूबो के बैठा
एक प्रेमी युगल
लेकर एक दूसरे के कांधों का सहारा...
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