jaydev purohit   (Jaydev "मस्त")
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Joined 6 June 2018


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1 JUL 2021 AT 21:11

तूट गया चाँद जो कभी था मेरा
शर्म करो रात अभी दूर है सवेरा

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22 OCT 2020 AT 12:44

इश्क़ ही सबकुछ है यहाँ




करने दे इश्क़, हैं ऐसा जहाँ ?

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4 FEB 2020 AT 15:32

में तुम्हें खुदा तो नहीं कहेता
मगर उससे जुदा भी नहीं कहेता

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12 AUG 2019 AT 21:35

ભીતરથી ખળભળવું ને અવિરત વહેવું
ઉછળવું, કૂદવું ને બસ, મારા સુધી પહોંચવું

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4 JAN 2022 AT 7:39

बिखेर दिया खुद को उस उम्मीद में
की कल जरूर निखरुंगा...

अब क्या बताऊँ
उस आनेवाले कल को

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24 DEC 2021 AT 8:48

सुबह का साथी ,शाम का राही
सफ़र में मिले सब नये हमराही

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10 DEC 2021 AT 21:47

कुछ मिलने पर ही खुशी मिलती है,
ऐसा हर बार नहीं होता,
कभी कुछ न मिले
वो बेहतर होता है जिंदगी के लिए

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2 DEC 2021 AT 18:48

ख़्वाब हक़ीक़त बन जाते
तुम कितने पास आ जाते

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23 NOV 2021 AT 21:32

मेरे चेहरे को चाँद बताते हो

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23 NOV 2021 AT 9:45

न तो हमें ख़तम करनी है
और
न तो हमें आधी रखनी है

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