Jaydeep Singh   (तुमसे ही)
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Joined 29 June 2019


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Joined 29 June 2019
4 DEC 2022 AT 21:13

दिल में समेट रखा है मोहब्बत का समंदर,
खुद एक बूँद प्यार को तरस गया...
जो बिखेरता रहा दूसरे के लबों पे मुस्कान,
नसीब तो देखो उसी की आँखों से पानी बरस गया..

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23 JUL 2022 AT 13:45

महसूस करता हूँ जब भी
तुम्हारे दर्द को
तो दिल करता है
कैसे भी आ जाऊँ तुम्हारे
करीब
और लगा के सीने से
रख दूँ अपने अधरों को
माथे पर तुम्हारे
और सोंख लूं सारे दर्द.....
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कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें.....

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6 MAY 2022 AT 19:42

बांध लिया है अपने इश्क़ में मुझे कुछ इस कदर से तूने,
कि इससे निकलना मुझे अब बेहद मुश्किल लग रहा है।
मेरी हर धड़कती धड़कन तेरा ही नाम लेने लगी है अब तो,
तू ही बता क्या करूं तेरे बिना कहीं न मेरा दिल लग रहा है।

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2 MAY 2022 AT 22:10

रखते हैं बातें दिल में कहते नहीं हैं कुछ भी,
ज़िन्दगी में ये शख़्स भी कैसा अजीब आ गया है...

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25 FEB 2022 AT 22:11

ये ग़म, ये उदासी, ये आंखों की नमी मैं तुझसे मेरे यार मांगता हूं।
तेरे हर दर्द को हक़ में अपने, मेरी जां, मैं हर बार मांगता हूं।

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13 FEB 2022 AT 23:59

क्या राब्ता हो अपना नाम बता नही सकता,
पर जो भी है उसे उम्र भर निभाना चाहते है।

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7 FEB 2022 AT 19:17

तेरा हाँथ थाम, तुझे अंधेरों से खींच लाना है मुझे,
ये जहाँ कितना रौशन है, इससे रूबरू करवाना है तुझे।
तेरी मुस्कुराहटों से जुड़ गयी हैं.... मुस्कुराहटें मेरी,
कुछ यूं थामें रखना है हाँथ की तेरे ही लबों से मुस्कुराना है मुझे।।

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23 JAN 2022 AT 13:37

चलो आज मैं तुमसे एक वादा करता हूँ,
है प्यार तुमसे मैं इस बात से मुकरता हूँ,
मैं इतना खुशनसीब कहाँ जो तुम मेरा नसीब बनो,
शायद इसीलिए मैं पागल सा दर बदर फिरता हूँ।।

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25 MAY 2021 AT 21:33

ज़िन्दगी न जाने क्यूँ जैसे दर्द की दुकान हो गयी,
एक अल्हड़ सी लड़की, आज बेजुबान हो गयी।

कल तक जिन गलियों में हर तरफ शोर रहता था,
आज देखो, वही हसीन गलियां सूनसान हो गयी।

पापा की परी है वो, मइया के लबों की मुस्कान है,
घर की लाडली, अपने ही घर में मेहमान हो गयी।

बहुत कुछ कहना है उसे पर कहने से डर जाती है,
उसकी ज़िन्दगी जैसे संघर्षों का इम्तिहान हो गई।

मेरी ज़िंदगी है तू, मेरे अधरों की मुस्कुराहट भी है,
तुझसे जुड़ी हैं साँसे मेरी, तू मेरी जान हो गयी।

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28 FEB 2021 AT 20:42

न तो स्याही से लिखेंगे...., न ही शब्दों से निखारेंगे,
अपने जज़्बातों को पन्नों पर, हम अश्कों से उतारेंगे।

इंद्रधनुष के सात रंगों सी है...., शख़्सियत तुम्हारी,
तुम्हारे दिल के कूचे को, प्रेम रूपी रंगों से संवारेंगे।

तेरे चेहरे पर ये मायूसी, अच्छी नहीं लगती है "राजे",
तेरी ख़ुशियों की ख़ातिर, दिन-रात ख़ुदा को पुकारेंगे।

जिस रोज तू चढ़ेगा घोड़ी पर...., बन करके दूल्हा,
ये जमाने के लोग, इस आफ़ताब से चेहरे को निहारेंगे।

जब आएगी dear तुम..., तुम्हारी अर्द्धांगिनी बनकर,
तेरे बदले मिजाज को हम और लाड़ो मिलके सुधारेंगे।

मुस्कान रहती है चेहरे पर, जब तू किसी से बात करता है,
बस यही वजह है "राजे", तू सबके दिलों पर राज करता है।

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