जितनी हो चादर उतने ही पैर पसारो
समझदारी इसी में है।
आटे में जितना पानी समाय उतना ही डालो
समझदारी से उसी में है।
तंज कसने से पहले अपने गिरेबान में झांको
समझदारी इसी में है।
खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाना है, ज्यादा लालच में न पडो
समझदारी इसी में है।- श्रीमती जयश्री तारे
5 FEB 2019 AT 23:51