डर किस बात का
हाथ थाम लो मेरा
कही न हो बात किसी से मुझे कहो
सुकून , दर्द, प्यार किस्सा जीवन का हिस्सा
धीरे गले लगकर कुछ न कहना
तेरी खामोशी भी पढ़ लेंगे
और तेरे लिए दुनिया बदल देंगे ,
बड़ी बाते है।
और डर किस बात का है तुम्हें...
हथेली पे तेरे खुद को रख लेंगे
चाहो जितना तुम उतना दूर ही चलेंगे।
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I am in the initial stage
And
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कुछ लोगों को सम्मान नहीं पसंद होता
इसलिए
अपना सम्मान और समय बेगैरो पर खर्च ना करे-
बिन मौसम बारिश ये याद दिलाता है मुझे
बारिश में भले ही हमने साथ में वक्त गुजारा ना हो
पर मेरे आंखों से बहते हुए हर अश्क में
वो मेरे साथ रहा है-
पुराने जख्म कभी नहीं भरते
वक्त बेवक्त जख्मों दर्द होता रहता हैं-
सिर्फ उसी का हो कर रहना
उसके चुलबुले पन को समझना
बिन कहे उसकी सारी नाराजगी दूर कर देना
खुद से पहले उसके उसे प्यार करना
वो रूठ जाए तो माफी मांग कर माना लेना
उसकी खुशी के लिए उसकी पसंद का अपना लेना
सिर्फ .... उसी का हो कर रहना
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गाड़ियां गुजर रही थीं लोग गुजर रहे थे ।
जिसका इंतजार हमे था ,
वो नहीं दिख रही थीं।-
रात सारी कट जाती है।
पर निंद नहीं क्यों आती है।
जागे जागे आंखें सूज जाती है।
बिन कहे ही सारी बात खुद कह जाती है
ये आंखें ही है जो हार राज बता देती है।-
किसी के लिए नफरत की आग उतनी ही रखो
जितना तुम बुझने की छमता रखते हो
ज्यादा उबाल नफरत की
तुम्हे ही जला कर राख कर देगी ।-
पढ़ना और लिखना
होती मस्तियां और घूमना फिरना
जरूरी नहीं होता
जिमेदारी उठाना
ना होता कठिन रास्तों से गुजरना
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