अपने दरम्यान दूरियां करने के ख्याल से गुजरी कई बार,
पर हर बार चार बातें कर फुसलाकर और अपने करीब कर गया तू मुझे।।।।-
तंहा रहना यूं ही नहीं पसंद आता है, कुछ तो ज़ुल्म तवक्को में होता है,
जरूरत के समय पर ही करीब आना और फिर चले जाना....... अक्सर फितरत से पहचान करा जाता है!!-
शिकस्ता सा था आशियां मेरा, संवर गया, सज गया, संभल गया, तेरे आने के बाद।
अब तो हर गमों- खुशी की इश्तिराक है साथ तेरे,
नहीं अब किसी भी उक़ूबत का खौफ़ तेरे आने के बाद।।-
बड़ी बेफिक्री से गुजर रही थी ये जिंदगी मेरी,
तेरे आने के बाद।
अब गम भी डरा सा रहता है,आने से पास मेरे,
तेरे जाने के बाद।।
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रज़ो-रज़िश की इन आपाधापी में,
न वो हमे बर्बाद कर पाए और...
न ही हम खुद आबाद हो पाए।।।-
चाहत यही रही हमेशा मेरी,
की बनू,सिर्फ मैं ही चाहत तेरी,
पर राब्ता तेरा तो है किसी और से ही......
मैं तो सिर्फ आश्र्ना ही बनी रही तेरी।।।-
कभी कहा था उसने मुझसे........
फूल संग खुशबू सा रिश्ता है हमारा,
अनजाने में ही सही पर सच कह गया था वो,
मैं गुल बनकर उसकी महक में निखर सी गई,
और वो गुलिस्ता में खुशबू की तरह बिखर सा गया।।।-
खबर है क्या तुझे उस शाम -ए-गरीबॉ की.....
जो बदल गई अमावस की रात में,
यूं ही चलते -चलते।।।-
💖💖 मौसमी बुख़ार सा इश्क़ हैं तेरा,
वक्त के साथ बदलता रहता है।
दवा लूं या ना लूं........
अपने वक्त तक ही तू ठहरता है।
💖💖बड़े जतन से रखा है इश्क तेरा,
वक्त के साथ बढ़ता ही रहता है।
कदर हो या ना हो तुझे.....
पर मुझे तो तेरा ही इंतजार रहता है।
💖💖नामी हस्तियों की फ़ेहरिस्तों में,
नाम तेरा भी रहता है।
माने या ना माने तू.......
तेरेअग़्यारो में मेरा नाम भी शुमार रहता है।
💖💖आदत सी हो रही हैं अब,दूरियों की तेरी,
तू भी तो अब मश़रुफ बहुत रहता है।
जाने या न जाने तू........
वक्त हर जख़्म को अक्सर भर देता है।
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दिल के ऐवां के दिवारो पर अब भी निशां बाकी है,
ये बात अलग है कि,खाली पैमाना और सूनी सी साकी है।
तसव्बुर में अब नहीं आता कोई,तेरे जाने के बाद,
अब तो साथ मेरे बस मेरा माज़ी है।।-