Jaya Khandelwal   (Jaya Khandelwal)
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khandelwaljaya891@gmail.com
Joined 22 November 2017


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Joined 22 November 2017
10 APR AT 10:06

महक रही फ़िजा बहार आने को है
खिल रहा चमन निखार आने को है
अब ना है रुकना है चलते जाना
दिखा हुनर का जलवा जमाने को है

चराग ए रोशन है कर जाता उजाला
एक किरण काफी तम हटाने को है

पथ में होगा मतलबियों का मेला
आया पल इंसा आजमाने को है.

होगा जोश ज़ज्बा आशा का तराना
लगी सारी कायनात जिताने को है.

ना पीछे मुड़ना सिर्फ आगे बढना
मेहनत कामयाबी मिलाने को है.

है स्वर्ण रश्मियों से हजार नेमतो को
दे रहा रब दुआओं के खजाने को हैं

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3 APR AT 22:37

प्यार की मीठी बातों का होता ऐसा असर
जीस्त में परेशानी-ओ-गम हो जाते बेअसर

किधर कहां क्या किसके बात की रखे खबर
दुनियादारी उलझन से हो जाना चाहे बेखबर

लगे प्यार के नशे में ना रहे कोई होश
लगे प्यार के मस्तीमें हो जाए मदहोश

इश्क मोहब्बत प्यार का होता ऐसा जाम
ये जाम फिर ना सोचे क्या होगा अंजाम.

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3 APR AT 21:36


हर कोई प्यार का जाम पीना चाहता
हर कोई प्यार के नशेमें डूबना चाहता

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2 APR AT 19:08

कविता
मन के भावनात्मक समुंदर में से शब्द रूपी मोतियों से एहसासों से पिरोई हुई रचना याने कविता ...मन के ज़ज्बात को अल्फाज़ देना फिर वो खुशी-दुःख-शौर्य- मायूसी या नव रस का कोई भी रस फिर वो कविता ही कहलाती है ...कविता तो उन्मुक्त होती है

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18 MAR AT 21:50

रेत की तरह
हाथों से निकल गया मेरे
थी कुछ स्नेह की नमी
सो कुछ ज़ज्बात चिपके रहे
एहसास बगावत की तरह
दिल में यादों से लिपटे रहे

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18 MAR AT 14:24

*अंतिम विदाई*
शाम से आंखों में नमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है
क्यों दिल में अगन लगी सी है.
मन को मिलन की तलब सी है

फिसल फिसल मुट्ठी से जा रेत रही
कतरा कतरा यूं जिंदगी कम हो रही.

यादों का साया साथ चल रहा
बातों का भरम साथ पल रहा
वादा टूटा, कस्में रूठी बस है भरम
अब सिर्फ साये का साथ छल रहा

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17 MAR AT 20:19

दिखावे की ज़िन्दगी में खुशी पल भर की 
पर दिखावे की ज़िन्दगी सुकून छीन लेती 

दिखावे की ज़िन्दगी में बड़ी मशक्कत होती 
गर ना मिले तारीफ़ मेहनत मिट्टी मोल होती 

न मिलता दिनको चैन न रातको आराम
दिखावे की ज़िन्दगी में हमारी नींद हराम 

दिखावे की ज़िन्दगी में खुशियां तबाह होती 
एक ख़्वाहिश हो पूरी तो दूजी जागृत होती 

दिखावे की ज़िन्दगी हमें खोखला कर देती 
कुछ पल की चमक, सौगात में अंधेरा देती 

दिखावे की ज़िन्दगी ,कभी होती नहीं स्थाई 
सादगी भरी ज़िन्दगी,है सब के मन को भाई 

ना सोच तेरे साड़ीसे मेरी साड़ी सफेद कैसी 
दिखावे की ज़िन्दगी की करो ऐसी की तैसी.

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17 MAR AT 16:49

ज़िन्दगी नहीं गणित, है बड़ी अजीब 
ज़िन्दगी है किताब, बंदगी है ख़िताब 
ज़िन्दगी का हिसाब कैसे करें जनाब 

(पूरी रचना अनुशीर्षक में)

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14 MAR AT 23:08

मेरा दिल ये कहता है
तुझ बिन ये मचलता है
रास तुझ संग रचाता है
क्यूं छेड़ मोहे तू सताता है

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14 MAR AT 21:42

जो होना वो होकर रहेगा
फिर क्यूं चिंता करता है
जो बोयेगा वही तो पायेगा

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