पास दरिया है और बयाबान भी
जिस्म ज़िंदा है, दिल बेजान भी
ख़ुश लगता हूँ सबको बाहर से मैं
पर मैं अंदर ही अंदर हूँ परेशान भी
इन्हीं ग़ज़लों ने मुझे रुसवा किया है
इन्हीं ग़ज़लों से है मेरी पहचान भी
जिसने जीते-जी है मार दिया मुझे
उसे ही कहता हूँ मैं अपनी जान भी-
दिल के दर्द बयां करता हूं अपनी कलम से
"कुछ अधूरा से रह गया तेरे मेरे बीच,
वो अधूरापन कुछ खास है,
उस कुछ की तलाश है,,
तन को कोई गिला नही,
मगर,,
रूह को कुछ प्यास है,
उस 'कुछ' की तलाश है,,
तूने तो जाते जाते सब कह दिया था,
मगर,,
जो कुछ नही कहा,,
उसका इतजार है,,
उस कुछ की तलाश है,,-
क्यूँ होती है जिंदगी में ऐसी हलचल,
एक पल की खुशी फिर ग़मों के बादल।
आँखों में आशु लबों पर मुस्कान.
यार ऐसे लम्हों से मैं बडी परेसान।
कोई तो हो अपना जिसे मैं बताऊ,
अपना मैं उसको हर दर्द सुनाऊँ।
समझ सके मेरे दिल की हर बात
पर ऐसा इंसान मिलता कहा है आज।।-
तेरी यादें मुझे सताए हैं कई रात से
अब कैसे निकलूँ मैं इस मुश्किलात से
तेरी कमी अब भी है दिल को मगर
तू दूर खुश है तो खुश हूँ मैं इस बात से
रहता नहीं इख़्तियार अब दिल मेरा
बहुत बेचैन हूँ मैं अपने इस हालात से
मेरे आँसुओं से तुमको कोई फर्क नहीं
तुम वाक़िफ़ नहीं हो मेरे अब जज़्बात से
तेरी छूवन ज़रूरी है ज़ख्मों को अब
शायद दिल अब ज़िंदा हो मुलाकात से..-
इक कट्टी में लड़ाई और,
दो उंगलियों से सुलह हो गई,
यारो की यारी से जिंदगानी,
हमारी रोशन हो गई।
बेबात ही स्ठे रहे,
झूठे रिश्ते नाते हमारे ताउम्र,
हर रिश्ते से ऊपर दोस्ती,
अपना फर्ज़ हर बार निभा गई।
कहने को तो अब मेल मिलाप,
उनसे होता नहीं है यारों,
मगर शरारतें बचपन की,
सोच के होठों पे मुस्कान आ गई ।-
तेरे हर दर्द हँस कर सहेंगे हम
ना कहा था, ना कहेंगे हम
तुम्हें जान से भी ज़्यादा चाहा
तुम्हें अच्छे नहीं लगेंगे हम
मेरे बगैर भी खुश रहोगी तुम
तेरे बगैर भी ज़िंदा रहेंगे हम
तुम जब आओगी मिलने कभी
तो खोए-खोए से मिलेंगे हम
मेरी चाहत को तुमने समझा नहीं
कमी मुझमें ही थी समझेंगे हम
तेरी यादों ने मुझे सताया बहुत
तेरी हिज्र में यूँही जलेंगे हम
सनम तुम हो आख़िरी प्यार मेरा
बस तेरे ही उम्र भर रहेंगे हम-
लिबास तुमने भी ओढ़ा है ज़माने वाला
फ़िर लौटा नहीं छोड़ कर जाने वाला
मैं इसलिए भी तुमसे कभी रूठा नहीं
तू नहीं था मुझको फिर मनाने वाला
अब मेरी गर चाहत है तो ढूंढ मुझे
सुन, मैं नहीं अब तेरे पीछे आने वाला
तेरे जाने से यकीन हो चला है अब
ताउम्र यहां कोई साथ नहीं निभाने वाला
हो सके तो आंखों में पढ़ लेना तुम
मैं तुमको नहीं हाल अब सुनाने वाला
शायर मुझको बनाया तेरी चाहत ने
वरना मैं भी लड़का था हँसने-हँसाने वाला-
पहले गले से लगाते हो तुम
फिर मुझको छोड़ जाते हो तुम
जब होना नहीं है तुमको मेरा
फिर क्यों इतने याद आते हो तुम
रोज़ छीन लेते हो नींदें मेरी
यार हद से ज़्यादा सताते हो तुम
तुमने जीते-जी मुझे मार दिया
क्यों फिर भी दिल को भाते हो तुम-
पुराना कुछ भूलने के लिए
रोज़ कुछ नया लिखना पड़ता है...
नज़र ना आ जायें बेचैनियां किसी को
इसलिए कल से थोड़ा बेहतर... दिखना पड़ता है...
गलती से भी किसी को तकलीफ ना दें दु
इसलिए कभी कभी बेवजह... झुकना पड़ता है...
दिल का बोझ जुबां पे ना आ जाए
इसलिए रोज़ थोड़ा थोड़ा... टूटना पड़ता है...
जो सपने चाह कर भी हासिल ना हो सके
उनकी याद में रोज़ थोड़ा मिटना पड़ता है...
ये तन्हाईयां कहीं पसंद ना आने लगे
इसलिए गैरों के साथ भी टिकना पड़ता है...!!-
जिंदगी पर एक किताब लिखेंगे
उसमे सारे हिसाब लिखेंगे
कुछ बदलते अपनो के लहजे
कुछ अपने टूटे ख्वाब लिखेंगे
कुछ अपने हालात लिखेंगे
उसमे ही सारी बात लिखेंगे
जो कह नही सकते
वो सारे जज्बात लिखेंगे
ज़िन्दगी पर एक किताब लिखेंगे
उसमे सारे हिसाब लिखेंगे.......-